White मिट्टी के आंगन।
मड़ई के झोपड़ी।
एसी कूलर के जगह अंगना में नीम के छाव रहीत।
काश ई बनावटी वातावरण ले बढ़िया ऊ हे पुरनका गांव रहीत।
मिट्टी के चूल्हा।
मिट्टी के बर्तन।
स्टील आ अलमुनियम के जगह,
पानी ला पीतल के गिलास रहीत।
काश ई देखावटी शहर ले बढ़िया ऊ आपन पुरानका गांव रहीत।
ना दूरी रहीत केहू अपना में।
ना दूर करेवाला मोबाइल के नाव रहीत।
सब लोग बैठते ओहि पीपल के छाव में,
अगर ई देखावटी जमाना ले बढ़िया ऊ हे पुरानका गांव रहीत।
हर बच्चा खेलते आंगन में।
सब संघे नहइते सावन में।
ई पोगो कार्टून के जगहा पर दादी नानी के कहानी के अंबार रहीत।
सब कुछ बड़ा मनमोहक लागीत,
अगर ई बनावटी शहर ले बढ़िया ऊ हे पुरनका गांव रहीत।
जब आईत ठंडी।
बाबा पहिनते जैकेट के जगहा बंडी।
जब भी जेब में हाथ डलती,
त खाए ला लेमचुस टाल रहीत।
हर बचपन बड़ा सुहावन लागीत।
अगर ई देखावटी विकाश ले बढ़िया ऊ ही पुरानका गांव रहीत।
खूब आलू पकैती सन घूर में।
खूब धान फुटैती सन घूर में।
ई हिटर या ब्लोअर ले बढ़िया ऊं हे पुअरा के आग रहीत।
अरे हर लोग बड़ा खुशहाल रहित हो,
अगर ई नया जमाना के जगह ऊ हे पुरानका गांव रहीत।
ना फिल्टर लागीत पानी ला।
ना लोन लियाइत परेशानी ला।
ना ही गैस के खर्चा और ना ही एसी कूलर के नाव रहीत।
अरे हर लोग बड़ा खुशहाल रहते हों,
अगर ई देखावटी जमाना के बढ़िया ऊ हे आपन गांव रहीत।
ई जेतने होता आधुनिकता ओतने लोग के परेशानी होता।
करे ला एक दूसरा के बराबरी हर घर में बड़ा हैरानी होता।
सब लोग परेशान बा ई हे सोच के,
कि काश बड़का लोग में हमरो नाव रहीत।
अरे भईया केहू इतना झंझट में ना राहित हो,
अगर ई देखावटी जमाना ले बढ़िया ऊं हे साधारण गांव रहीत।
©Sanjeev Pandey
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