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White ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है बहार आने की सूरत निकल भी सकती है जला के शम्मा अब उठ उठ के देखना छोड़ो वो ज़िम्मेदारी से अज़-ख़ुद पिघल भी सकती है है शर्त सुब्ह के रस्ते से हो के शाम आए तो रात उस को सहर में बदल भी सकती है ज़रा सँभल के जलाना अक़ीदतों के चराग़ भड़क न जाएँ कि मसनद ये जल भी सकती है अभी तो चाक पे जारी है रक़्स . मिट्टी का अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती हैं कोई ज़रूरी नहीं वो ही दिल को शाद करे सागर.. ख़ुद तबीअत बहल भी सकती है ©Sagar Sheikhpura
Sagar Sheikhpura
12 Love
मैं ग़लत हो सकता हूं तुम्हारे शब्दों में,बातों में जिस दिन हृदय में हो जाऊं तो मुझे भूल जाना। मैं स्वाभीमानी हो सकता हू अपनी हरकत से आदतों से जिस दिन घमंडी हो जाऊं तो मुझे भूल जाना। मैं प्रेम का आदि हो सकता हूं तुम्हारे प्रेम में मोह में जिस दिन तुम्हे भुला दूं तो मुझे भूल जाना। ©Sagar Sheikhpura
16 Love
तेरी हसरत थी कि मैं हमेशा सिर्फ़ तेरा रहूं, अब तूने ही छोड़ा है ये बात किससे कहूं! ©Sagar Sheikhpura
11 Love
हाल ए दिल बयां करें भी तो किसको सुनने वाले अब शहर छोड़ चुके हैं ©Sagar Sheikhpura
कोई तो तरकीब बता की तुझे भूल जाऊं । खुद को भूलने लगा हूं तुझे याद करते करते ।। ©Sagar Sheikhpura
13 Love
बहुत अच्छी तरह से वाकिफ था एक शख्स मेरे हालातो से उस मोड़ पर छोड़ा हमे उसने जब उसका साथ बहुत अहम था ©Sagar Sheikhpura
10 Love
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