Anuj Subrat

Anuj Subrat Lives in Motipur, Bihar, India

मलाल तेरे छोड़ जाने का यूँ रहा ना हम रहे ना हमारा वक़्त रहा.... हुस्न तेरा चाँद-सा, नुक्स निकाला गया हमसे भी पूछा गया, हमने पर्दा किया.... तेरी गली में... तेरा आना रह गया.. बहुत कुछ बाकी था और मैं कहाँ रह गया... रंज-ओ-ग़म ने हमको मशहूर कर दिया अब मुफ़लिसी के दौर भी गुज़र जायेंगे... ~ Anuj Subrat

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#शायरी

ladki rahti hai

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इक होड़ लगी थी सबको आगे जाना था हम वहीं रुक गए शायद मेरा वहीं ठिकाना था मैंने देखा तो देखा क्या इक गुलशन इक ख़ुशबू और इक ये ज़ालिम ज़माना था आधा भी लिख दे कैसे कोई उसको मैंने देखा था जिसको वो यकसर दीवाना था कैसे करते इज़हार-ए-मोहब्बत हम तुमसे नाहीं कोई ठिकाना था नाहीं आब-ओ-दाना था लाख लगाई तदबीरें हमने ग़म की निजात को बस इक मेरा सर था बस इक तेरा शाना था जपते जपते पी का नाम रात हुई भोर हुई जागे तो पाए बिखरा तस्बीह का दाना था हम क्या बतलाए अपनी क़िस्मत का तक़ाज़ा ‘सुब्रत’ उसको खोना था ‘सुब्रत’ उसको पाना था.... ©Anuj Subrat

#अनुज_सुब्रत #आब_ओ_दाना #सुब्रत #शायरी  इक होड़ लगी थी सबको आगे जाना था
हम वहीं रुक गए शायद मेरा वहीं ठिकाना था

मैंने देखा तो देखा क्या इक गुलशन
इक ख़ुशबू और इक ये ज़ालिम ज़माना था

आधा भी लिख दे कैसे कोई उसको
मैंने देखा था जिसको वो यकसर दीवाना था

कैसे करते इज़हार-ए-मोहब्बत हम तुमसे
नाहीं कोई ठिकाना था नाहीं आब-ओ-दाना था

लाख लगाई तदबीरें हमने ग़म की निजात को
बस इक मेरा सर था बस इक तेरा शाना था

जपते जपते पी का नाम रात हुई भोर हुई
जागे तो पाए बिखरा तस्बीह का दाना था

हम क्या बतलाए अपनी क़िस्मत का तक़ाज़ा
‘सुब्रत’ उसको खोना था ‘सुब्रत’ उसको पाना था....

©Anuj Subrat

इक होड़ लगी थी सबको आगे जाना था.....~©अनुज सुब्रत #अनुज_सुब्रत #सुब्रत #आब_ओ_दाना

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कितने पाकीज़ा थे हम इब्तिदा-ए-इश्क़ में पुरकार क्यों हो तुम पुरकार क्यों हूँ मैं..... ©Anuj Subrat

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पुरकार क्यों हो तुम पुरकार क्यों हूँ मैं.....

©Anuj Subrat

कितने पाकीज़ा थे हम इब्तिदा-ए-इश्क़ में.....~©अनुज सुब्रत #पाकीज़ा #पुरकार #इब्तिदा_ए_इश्क़ #सुब्रत #अनुज_सुब्रत

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