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Mushaira/Kavi sammelan Urdu & Hindi Poetry
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तमाम शहर जिसे छोड़ने को आया है, जो शख़्स कितना अकेला सफ़र पे निकलेगा। ~कैफ़ी विजदानी
Ajay Chitrakooti
36 Love
अब ज़िन्दगी की राह में तन्हा बचे हैं हम, था जिसका इंतज़ार वो कबके निकल गए। -अजय विश्वकर्मा
41 Love
हिज़्र में जो सुक़ून मिलता है, वस्ल में वो मज़ा नहीं आता। -अजय विश्वकर्मा
32 Love
कौन आया है यहाँ ,कोई न आया होगा, मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा। -क़ैफ़ी भोपाली
30 Love
अब इससे बढ़के मुहब्बत किसी को क्या देगी, किसी की आँख के आँसू किसी की आँख में हैं। -वसीम नादिर
52 Love
जिससे दुनिया की चाह रखते हो, वो तो शमशान में बहुत खुश है। -विक्रम बैरागी
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