कुछ बेटियाँ।
कुछ बेटियाँ, हमने ऐसे भी देखे
भावनाओ वाले देश, भारत मे
भावना को छोड़, सब कुछ दिखा
उनके मन के गाँव मे।
पैसे की तलब ज़्यादा रही या ऐयाशी की,
या ओ थे भटके
मुझको मालूम नही।
रोता हुआ चेहरा दिखा पास मे,
और ओ हँस रहे थे, वे लोग कौन थे?
ये समझ नही आया भारत जैसे सच्चे गाँव मे।
हाँ पिछली बार जब आना हुआ था
कल्पना के रास्ते इस भावनाओ वाले देश, भारत मे
तो
एक माँ सीखा रही थी अपनी बेटी को
तुम हो "भविष्य" इस सच्चे देश की
जिस घर मे भी जाना, रखना लाज
मेरे इस मन भरे शब्द की।
धन्यावाद!
*It's not for all Girls(+ve) . Thanks
©Ranjeet Ray
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here