वक्त्त ने बहुत कुछ सिखाया हमें
कभी हसाया तो कभी रुलाया हमें
आज हम दूर है तुझसे तो क्यों शिकवा करें
इसी वक्त्त ने एक दिन था मिलाया हमें
महसूस करता हूँ तेरी यादों में तुझको
क्या सच है तूने भी ना भुलाया हमें
तन्हा रहने की आदत हो गई जबसे
अक्सर भीड़ में भी सबने तन्हा पाया हमें
क्या था तू मेरा,मैं बता तो दूँ मगर
कैसे करेगा यकीन, जिसने वेवफा बुलाया हमें
जीतने की हसरत न थी,न हारे थे कभी
इम्तिहाने इश्क ने मगर हराया हमें
कहाँ रश्क था हमें गैरों से तेरी नज़दीकियों का
दूर हुए मगर हमसे इस कदर कि गैर बनाया हमें
वक्त्त ने बहुत कुछ सिखाया हमें
कभी हसाया तो कभी रुलाया हमें
आज हम दूर है तुझसे तो क्यों शिकवा करें
इसी वक्त्त ने एक दिन था मिलाया हमें
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here