सच कहूं तो मैं अर्जुन तो नही,,,
पर हां मेरे लिए श्रीकृष्ण जैसी सारथी जरुर हो तुम....
जैसे कृष्ण निकालते हैं अर्जुन को उनकी दुविधाओं से बाहर..... वैसे ही तुम निकालती हो मुझे मेरी दुविधाओं से बाहर.....
जैसे कृष्ण अर्जुन को देते हैं एक स्पष्ट दृष्टि अच्छे और बुरे को पहचानने
की,,,"
वैसे ही तुम देती हो अपना दृष्टिकोण मुझे दुनिया को पहचानने का......
जैसे कृष्ण देते हैं अर्जुन को अपना परम ज्ञान उन्हें उनके लक्ष्य को
जिताने का,,,"
वैसे हि तुम देती हो मुझे अपना ज्ञान बहुत दूर तक जाने का.......
जैसे कृष्ण के होने मात्र से ही अर्जुन ने विजय पाई थी.....
वैसे ही तुम्हारे होने मात्र से टल जाती हैं मेरी सारी व्यथाएं.....
©ترپاٹھی آکاش
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