ये उतना ही बड़ा सच है,
की भीड़ मार सकती है एक बच्चे को,
बंदूक गलती से चल गई,
गोली लगी एक निहथे को,
कहा कूदा था इमारत से वह,
इसको कहते है हवा में तैरने को,
रंगरूट बदलते जाते है,
सड़क के खड्डे,
बेहाल, बैरंग, फरिश्तों, आओ अपना नाम बताओ,
तुम्हारे नाम पर, सड़के लहू से रंग दी जा रही है,
आओ इन गलियों को देखो, जंहा कल बच्चे खेलते थे,
गिरी है लाश उनकी, माँ की बद्दुयायै सुनाई दे रही है,
इस घर को भी देख लो, जंहा अंगार अभी भी जल रहा है,
तुम्हारे नाम से, दूसरे घर में आग लगाई जा रही है,
आवाज नही आती मेरे पैरो की जंजीरों की,
तुम को क्या बताये, खनक मेरी मजबूरियों की,
दस्ताने है मेरे हाथ में,
लेकिन फिर भी दुनिया ताना मारती है,
मेरे हाथों के लकीरो की,
बैमुराद हम है, मानते भी है,
नाम जिंदगी के कितने लिखे,
क्यो ना इसे कभी खुशी तो कभी गम लिखे,
उजालो की बस्ती में, मोम का पिघलना लिखे,
बुझ गया है चिराग जो, उसको सिर्फ क्यो अंधेरा लिखे,
बदलता मौसम, क्यो ना इसे जज्बात लिखे,
बेहाल है जो चंद फरिश्ते, बेवजह के हालात लिखे,
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