906 Love
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी
859 Love
मांगने पर जहाँ पूरी हर मन्नत होती है माँ के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है
770 Love
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