ज़िंदगी में ज़िंदगी भर हम स्वयं को मूर्ख बनाते रहते है।
दूसरों के प्रति हम ज़िम्मेदार रहते है,।
फिर चाहे वो बॉस हो, परिजन हों परिचित हों,
रिश्तेदार हो,या यार– दोस्त हों या x-y-z कोई भी,
हम उनके प्रति अपने दायित्वों को जितनी अच्छी तरह से निभाते है
उतनी अच्छी तरह से हम खुद के प्रति कभी ज़िम्मेदार नहीं बनते,
अगर बन भी जाए कोई तो लोग उसे सेल्फिश, स्वार्थी कहते हैं
जबकि ऐसे लोगों को खुश करने में हम अपनी पूरी ज़िंदगी लगा देते हैं
जो हमसे, हमारे उनके लिए किए गए कार्यों से कभी खुश नहीं होते।
तो बताइए कौन है सबसे बड़ा मूर्ख (फूल)?
So dear friends
ना तो फूल बनाइए
ना ही फूल बनिए
आप तो बस बस कूल बनिए
क्यूंकि उसकी ज़्यादा ज़रूरत है हम सभी को।
।RJ रेखा भाटिया (जयपुर रेडियो)
©RJ Rekha Bhatia
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