क्षितज तक जो फैले थे नज़ारे याद करता हूं
मै मझदारो कि कस्ती हूं किनरे याद करता हूं
बहोत तन कर खड़ा सा पेड़ था मै उन तूफानों में
अब हवाएं भी जों चलती है सहारे याद करता हूं
Prabhat Rai
मेरे ज़ेहन में तेरा अब भी हयात होना,
मेंने देखा है किसी और के हाथों में तेरा हाथ होना!
यो हर्फ दर हर्फ मेरी ग़ज़लों से दूरियां तेरी ,
तेरे इस्क की बाजी में मेरा सह और मात होना!
prabhat_4_u
मेरे ज़ेहन में तेरा अब भी हयात होना,
मेंने देखा है किसी और के हाथों में तेरा हाथ होना!
यो हर्फ दर हर्फ मेरी ग़ज़लों से दूरियां तेरी ,
तेरे इस्क की बाजी में मेरा सह और मात होना!
prabhat_4_u
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