Ravi Devesh

Ravi Devesh Lives in Gwalior, Madhya Pradesh, India

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रहने को सपनों के शहर में, मैं अपना गाँव छोड़ आया हूँ अमरूद के बगीचे, वो पेड़ों की शीतल छाँव छोड़ आया हूँ! फसलों से लहलहाते खेत, वो खेल का मैदान छोड़ आया हूँ शुद्ध हवा, वो पतंगों वाला व्यस्त आसमान छोड़ आया हूँ! वो मिट्टी के खिलौने, वो कागज की नाव छोड़ आया हूँ सभी में मिलता था वो अपनेपन का भाव छोड़ आया हूँ! वो चोखट, वो चूल्हा, वो पुश्तैनी मकान छोड़ आया हूँ आ गया हूँ शहर में पीछे अपने एक जहाँन छोड़ आया हूँ!

#Leavingbehind #hindipoetry #shehar #Hindi #poem #gaon  रहने को सपनों के शहर में, मैं अपना गाँव छोड़ आया हूँ
अमरूद के बगीचे, वो पेड़ों की शीतल छाँव छोड़ आया हूँ!

फसलों से लहलहाते खेत, वो खेल का मैदान छोड़ आया हूँ
शुद्ध हवा, वो पतंगों वाला व्यस्त आसमान छोड़ आया हूँ!

वो मिट्टी के खिलौने, वो कागज की नाव छोड़ आया हूँ
सभी में मिलता था वो अपनेपन का भाव छोड़ आया हूँ!

वो चोखट, वो चूल्हा, वो पुश्तैनी मकान छोड़ आया हूँ
आ गया हूँ शहर में पीछे अपने एक जहाँन छोड़ आया हूँ!

चलो फिरसे एक बार अनजान से हो जाते है, वो अजनबियों वाली पहली मुलाकात तो होगी शुरू होंगे सिलसिले चुपके-चुपके मुलाकातों के, इशारों इशारों में ही सही फिरसे बात तो होगी!!

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वो अजनबियों वाली पहली मुलाकात तो होगी

शुरू होंगे सिलसिले चुपके-चुपके मुलाकातों के,
इशारों इशारों में ही सही फिरसे बात तो होगी!!

देखकर उसके सौंदर्य को वो चाँद भी तो जलता है, शायद इसी वजह से वो रोज अपना रूप बदलता है!

#Beauty #Moon  देखकर उसके सौंदर्य को वो चाँद भी तो जलता है,
शायद इसी वजह से वो रोज अपना रूप बदलता है!

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वैसे तो उनके चरित्र में कोई दाग ना था, उन्हें इश्क़ क्या हुआ, सभी ने कुछ ना कुछ इल्ज़ाम लगा दिया!

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