Lalit Gunja

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भीड़ का हिस्सा हो भी अगर फिर भी भीड़ में अलग दिखना जरूरी है.. जिंदा रहो ना रहो जिंदा नजर आना जरूरी है ©Lalit Gunja

#ज़िन्दगी  भीड़ का हिस्सा हो भी अगर फिर भी भीड़ में  अलग दिखना जरूरी है..
 जिंदा रहो ना रहो जिंदा नजर आना जरूरी है

©Lalit Gunja

भीड़ का हिस्सा हो भी अगर फिर भी भीड़ में अलग दिखना जरूरी है.. जिंदा रहो ना रहो जिंदा नजर आना जरूरी है ©Lalit Gunja

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कुछ अलग ही दास्तां बन गई है जिंदगी की.. लोग घर की जिम्मेदारी साथ लेकर चलते हैं ..मैं मकान लेकर चलता हूं ..तन्हाई के दरमियान भी एक हसीन शाम लेकर चलता हूं.. माना कि अकेला हूं तो क्या हुआ... आने वाले कल का मुकाम लेकर चलता हूं ©Lalit Gunja

#शायरी #bestfriends #PremVaani  कुछ अलग ही दास्तां बन गई है जिंदगी की.. लोग घर की जिम्मेदारी साथ लेकर चलते हैं ..मैं मकान लेकर चलता हूं ..तन्हाई के दरमियान भी एक हसीन शाम लेकर चलता हूं.. माना कि अकेला हूं तो क्या हुआ... आने वाले कल का मुकाम लेकर चलता हूं

©Lalit Gunja

और धीरे-धीरे करके जीवन के रंगमंच के सारे कलाकार चले गए..... बस इस कहानी का आखिरी किरदार बनकर रह गया मैं अकेला... हुनर तो था लेकिन सहेजना ना आया... टूटा इस कदर की बिखरना ना आया...... तोहफे में मिली खुशियों को समेटना ना आया.... बिखरा इस कदर कि दोबारा खड़ा ना हो पाया..... लोग आते गए लोग जाते गए, हमेशा खुश रहने की आदत थी... लोगों ने भी अकेला छोड़ दिया यह कहकर कि .... तुम्हें तो बिन महफिल के भी खुश रहने की आदत है.... बस दो अनजान साथी ने आखिर तक मेरा साथ दिया... मेरी संगीत मेरी शायरी, मेरा जज्बा मेरा हौसला ऊपर वाले का रहम है जिंदा हूं मैं.... कुछ कराना चाहता है शायद मेरा कर्म है.... मेरी उम्मीद है उससे, तो उसकी कुछ आस है मुझसे... ना जाने कैसा अटूट बंधन है, ईश्वर और मेरा.... मेरे उससे मिलाने की जिद पूरी नहीं करता, फिर भी अनछूआ एहसास बनकर साथ देता है मेरा..... मेरा भूत वर्तमान और भविष्य है तू.... मैं कहीं नहीं पर तू हर पल साथ है.... तू ही तो है तभी तो मेरी बात है माना अकेला हूं यहां पर तू तो मेरे साथ है.... इस पल का यकीन तो दे, बहती हवाओं की तरह... मेरे हमदम मेरे हमराही साथ थोड़ा संगीन तो दे - ✍ ललित प्रेम ©Lalit Gunja

#कविता #SundayThoughts #Travel  और धीरे-धीरे करके जीवन के रंगमंच के सारे कलाकार चले गए.....
बस इस कहानी का आखिरी किरदार बनकर रह गया मैं अकेला...
हुनर तो था लेकिन सहेजना ना आया...
टूटा इस कदर की बिखरना ना आया......
तोहफे में मिली खुशियों को समेटना ना आया....
बिखरा इस कदर कि दोबारा खड़ा ना हो पाया.....
लोग आते गए लोग जाते गए, हमेशा खुश रहने की आदत थी...
लोगों ने भी अकेला छोड़ दिया यह कहकर कि ....
तुम्हें तो बिन महफिल के भी खुश रहने की आदत है....
बस दो अनजान साथी ने आखिर तक मेरा साथ दिया...
मेरी संगीत मेरी शायरी, मेरा जज्बा मेरा हौसला
ऊपर वाले का रहम है जिंदा हूं मैं....
कुछ कराना चाहता है शायद मेरा कर्म है....
मेरी उम्मीद है उससे, तो उसकी कुछ आस है मुझसे... 
ना जाने कैसा अटूट बंधन है, ईश्वर और मेरा....
 मेरे उससे मिलाने की जिद पूरी नहीं करता, फिर भी अनछूआ एहसास बनकर साथ देता है मेरा.....
मेरा भूत वर्तमान और भविष्य है तू....
मैं कहीं नहीं पर तू हर पल साथ है....
तू ही तो है तभी तो मेरी बात है
माना अकेला हूं यहां पर तू तो मेरे साथ है....
इस पल का यकीन तो दे, बहती हवाओं की तरह...
मेरे हमदम मेरे हमराही साथ थोड़ा संगीन तो दे
- ✍ ललित प्रेम

©Lalit Gunja

हर खुश मिजाज इंसान के पीछे एक दुख दर्द भरी कहानी छुपी होती है... हर कोई खुद के जैसा दोबारा नहीं बनना चाहता ©Lalit Gunja

#विचार #Thinking  हर खुश मिजाज इंसान के पीछे एक दुख दर्द भरी कहानी छुपी होती है...
 हर कोई खुद के जैसा दोबारा नहीं बनना चाहता

©Lalit Gunja

#Thinking

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#विचार #UnlockSecrets #darkthought #LalitPrem

सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ©Lalit Gunja

#समाज #RepublicDay  सभी को गणतंत्र दिवस
 की हार्दिक शुभकामनाएं

©Lalit Gunja
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