एक छोटा सा परिचय "रसों" और "छंदों" का मुझे ज्ञान नहीं, एक ऐसी अधूरी "पहचान" हूँ मैं । "नज्मों" और "शायरों" की एक छोटी सी टुकड़ी, कहीं "मीरा" तो कहीं "सुर" की एक प्यारी सी मुस्कान हूँ मैं । "लफ्जों का कारीगर" हूँ, कहीं "गीता" तो कहीं "कुरान" हूँ मैं । शिखरों में दूर "हिमालय" तक फैला, कहीं "थार" सा वृहद "रेगिस्तान" हूँ मैं । कहीं कल-कल करती "चंचल नदिया", तो कहीं "बीहडों का बागवान" हूँ मैं । "शब्दों की माटी" की "सौंधी खुशबू", तो कहीं माँ की रसोई में पकता "लजीज पकवान" हूँ मैं । कहीं देश के विकास की एक "सुंदर रचना", तो कहीं किसानों का "लहलहाता स्वाभिमान" हूँ मैं । नफरत ना करना मुझसे मेरी "उर्दू" पढ़कर, विविध भाषाओं का एक पूरा "खानदान" हूँ मैं । भारत के माथे का "तेजस्वी तिलक", "हिन्द का स्वयं हिंदुस्तान हूँ मैं" । दिल में उठे अरमानों को "स्याह" बनाकर कागज पर उकेर देता हूँ, एक ऐसा "नादां" हूँ मैं ।
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