आज वो ख़्वाबों में आने लगी
अपनी बातों में वो तुम्हें घुमाने लगी
क्या समझना चाहा तुमने कभी मुझे
क्या याद किया था कभी तुमने मुझे
जो आज अचानक मैं यूं याद आने लगी
मेरी कही बातें तुम्हें यूं सताने लगी
क्या मुझे कभी हंसाना चाहा था
जो रुला के चले गए थे
आज फिर मुझे हंसाने का झूठा वादा करने आ गए तुम
तुम्हारे मन ने ये पहले क्यूं नहीं सोचा
जो आज मैं तुम्हें इतना पसंद आने लगी
तुम्हें क्यूं लग रहा है कि मेरी आवाज़ फिर तुम्हें बुलाने लगी
मेरी हजारों दुआ कि एक दुआ यूं क़ुबूल हो गई
ख़ुदा ने चाहा मैं तुमसे बहुत दूर हो गई.।
:- शिखा मिश्रा
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