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ख़ुर्शीद ज़रा सा डूबा ही था मेरा कि, चिराग़ों ने समझा रोशन जहाँ उनसे है।।
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उनके लौट आने की अभी इमकान बाक़ी थी, मेरी रूह में अभी जान बाक़ी थी।। ©Vikas Goswami
Vikas Goswami
7 Love
मेरी मोहब्बत की उजरत चुकाने चले है, वो गरीब हो रहे है, दाम उठ रहा है।। ©Vikas Goswami
10 Love
कोई इख़्तिलाफ़ नही है हम दोनों में, बस उसका दिल ज़रा-सा काला है।। ©Vikas Goswami
8 Love
बड़े अदावत से पेश आ रहे हो जनाब, दिल शिकस्ता है या धोखा खा लिया।। ©Vikas Goswami
9 Love
चलो कह दिया क़ुबूल है मगर है क्या, चलो कह दिया उसूल है मगर है क्या।। ©Vikas Goswami
इब्तिदा ग़ुम है धुँधला है इख़्तिताम भी, रास्तों की भी ख़बर नही अनजान है अंजाम भी।। ©Vikas Goswami
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