Shuchi Singh Kalra
“भारत के विकास के लिए महिला सशक्तीकरण बेहद जरूरी है”- प्रधानमंत्री मोदी ने GES 2017 में जब ये उदगार व्यक्त किए, तो देश में हर क्षेत्र की उन लाखों महिलाओं में आशा की किरण जगी, जो भारत की वर्कफोर्स में सक्रिय भागीदार बनने का सपना संजोए हुई हैं।
9 महिला मंत्रियों को महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियां देकर, जिसमें 6 कैबिनेट में हैं, और पुलिस बल में महिलाओं के लिए आरक्षण को बढ़ाकर 33% करके प्रधानमंत्री ने स्पष्ट संकेत दिया कि अब समय आ गया है जब महिलाओं को देश के आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में प्रतिनिधित्व करने के पर्याप्त मौके मिलें।। इसके साथ ही, सरकार ने तमाम नीतियों और प्रगतिशील कदमों के द्वारा महिला उद्यमियों के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का मौका दिया है, जिससे वो रोजगार देने वाली बनें और अपने समाज की दूसरी महिलाओं को भी सशक्त बनाएं।
मुद्रा योजना ने कई महिलाओं को सिलाई मशीनें खरीदने और दूसरे संसाधन जुटाकर अपने घरों में ही छोटी-छोटी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां स्थापित करने में मदद की। अब उन्हें शहर नहीं जाना पड़ता है, बल्कि फैक्ट्री की वैन रोजाना सुबह गांव में ही कच्चा माल पहुंचा दिया करती है और शाम को उनका बनाया हुआ सामान लेकर लौट जाती है।.
तमिलनाडु के सलेम जिले के छोटे से गांव कोलाथूर की 400 महिलाओं को प्रतिदिन तीन सौ रुपये कमाने के लिए रोजाना सुबह तीन घंटे का सफर तय कर फैक्ट्री में काम करने जाना पड़ता था। उनके लिए यह कष्टप्रद था लेकिन जीवनयापन के लिए बेहद आवश्यक भी था। इन महिलाओं को सिर्फ पैसा कमाने के लिए ही संघर्ष नहीं करना पड़ता था, बल्कि इन्हें बच्चों और दूसरी घरेलू जिम्मेदारियों को भी संभालना पड़ता था। मुद्रा योजना ने इनमें से कई महिलाओं को सिलाई मशीनें खरीदने और दूसरे संसाधन जुटाकर अपने घरों में ही छोटी-छोटी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां स्थापित करने में मदद की। अब इन महिलाओं को शहर नहीं जाना पड़ता है, बल्कि फैक्ट्री की वैन रोजाना सुबह गांव में ही इन्हें कच्चा माल पहुंचा दिया करती है और शाम को इनका बनाया हुआ सामान लेकर लौट जाती है। इससे न सिर्फ इन महिलाओं की जिंदगी आसान बनी है, बल्कि उत्पादकता भी बढ़ गई है। अब इन महिलाओं की प्रतिदिन की औसत कमाई 500 रुपये हो गई है, और अब वे अपने घर व परिवार की देखभाल ज्यादा अच्छे तरीके से कर पा रही हैं।
गुवाहाटी से दो घंटे की दूरी पर स्थित छोटे से कस्बे धुला की रहने वाली 26 साल की दुलुमोनी कालिता बहुत ही क्रिएटिव हैं। इस ग्रैजुएट युवती के लिए अपने कस्बे में रोजगार के ज्यादा अवसर नहीं थे, लेकिन यह बात इन्हें बड़े सपने देखने से नहीं रोक सकी। सपने पूरा करने के लिए धन जुटाने में बाधाएं कम नहीं थीं। ऐसे में मुद्रा योजना के माध्यम से दुलुमोनी को बिना किसी परेशानी के 25 हजार रुपये का लोन मिल गया, इतना ही नहीं उन्हें North Eastern Development Finance Corporation Ltd से प्रशिक्षण भी मिला। अब वे असम में जगह-जगह तालाब और झीलों में पाई जाने वाली जल-कुंभी से बनने वाले घरेलू उत्पादों की निर्माण इकाई का सफलतापूर्वक संचालन कर रही हैं। आने वाले वर्षों में वह अपने व्यवसाय को बढ़ाकर, अपने समुदाय की ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को रोजगार देने की योजना बना रही हैं।
आर्थिक आत्मनिर्भरता से ही महिला सशक्तीकरण की नींव तैयार होती है, और इस दिशा में बेहतरी के लिए चीजें तेजी से बदल रही हैं।
Financial spectrum के दूसरी तरफ हैं पूर्व होटेलियर, लक्षणा लील। यूके में नामी Hospitality chain के साथ चार साल काम करने के बाद लक्षणा की इच्छा अपने घर लौट कर, समाज के लिए कुछ करने की हुई। जुनून, विशेषज्ञता और रिसर्च जैसी काबिलियत से भरपूर लक्षणा को अपने पहले उपक्रम के लिए फंड की जरूरत थी। अपने उपक्रम Kshana Cosmetics को शुरू कर वो नीलगिरी से मिलने वाली ताजा और प्राकृतिक चीजों से विशेष प्रकार के artisanal products बनाना चाहती थीं। ज्यादातर शहरी युवा महिलाओं की तरह, उन्हें भी सरकारी योजनाओं को लेकर काफी संशय था, क्योंकि इसके लिए काफी कागजी कार्रवाई के साथ अफसरों के चक्कर भी काटने पड़ते हैं। जब इन्होंने स्टार्टअप इंडिया के तहत ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया तो उन्हें काफी हैरानी हुई। वेबसाइट पर साइन इन की प्रक्रिया बेहद आसान और प्रभावी तरीके से हो गई, इतना ही नहीं इनका लोन भी जल्दी ही पास हो गया। इसके अलावा term capital में 25 प्रतिशत सब्सिडी और सस्ती दरों पर बिजली जैसी दूसरी सुविधाएं भी मिलीं। अब उनका EDI की तरफ से आयोजित entrepreneur development programme का प्रशिक्षण खत्म होने वाला है और वे अपने उपक्रम के लिए मशीनों का ऑर्डर भी दे चुकी हैं। उन्होंने तीन ग्रामीण महिलाओं को भी नौकरी पर रखा है, इसके अलावा उन्होंने अपनी निर्माण इकाई में Transgenders को प्रशिक्षण और रोजगार देने के लिए एक एनजीओ से भी बातचीत की है। वो दिव्यांगों को भी पैकिंग और दूसरे कामकाज के लिए नियुक्त करने पर विचार कर रही हैं। Kshana Cosmetics के लिए सारा कच्चा माल भी स्थानीय किसानों और छोटे व्यवसायियों से खरीदने की उनकी योजना है।
2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की लॉन्चिंग के बाद से वंचितों को 4,43,495 करोड़ रुपये का लोन बांटा जा चुका है, इनमें से 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं थीं।
आर्थिक आत्मनिर्भरता से ही महिला सशक्तीकरण की नींव तैयार होती है, और इस दिशा में बेहतरी के लिए चीजें तेजी से बदल रही हैं। ऐसी कई बातें हैं, जो महिलाओं की सक्रियता और भारतीय अर्थव्यवस्था में उनकी बराबर की भागीदारी के बीच में अवरोध उत्पन्न कर रही हैं। कार्यक्षेत्र में लैंगिक असमानता, उचित अवसरों की कमी, घरेलू जिम्मेदारियां, दकियानूसी पारिवारिक मान्यताएं और सुरक्षा जैसी प्रमुख बाधाएं हैं, जिनका महिलाओं को सामना करना पड़ता है।
हालांकि उद्यमिता और स्वरोजगार से महिलाओं के लिए कई मौके सृजित हुए हैं। अब वो अपने घरों और शहर से बाहर जाए बिना ही सक्रिय कार्यबल का हिस्सा बन सकती हैं। अच्छी बात यह है कि माहौल भी इसके लिए पर्याप्त अनुकूल हो चुका है, जिसमें वो आसानी से प्रगति कर सकती हैं, और अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं।
व्यवसाय करने में सुगमता की रैंकिंग
वर्ष 2017 में वर्ल्ड बैंक की ‘Ease of Doing Business Ranking’ में भारत का स्थान 100वां रहा, जो पहले की रैंकिंग से 30 स्थान ऊपर था। हालांकि सभी उद्यमियों के लिए यह अच्छी खबर है, लेकिन खासकर महिलाओं के लिए यह खबर अधिक फायदेमंद है, क्योंकि उन्हें पूंजी की कमी, उचित मार्गदर्शन समेत दूसरी दिक्कतों का ज्यादा सामना करना पड़ता है।
आर्थिक सशक्तीकरण के जरिये विशेष रूप से अनुसूचित जाति/जनजाति की महिलाओं के उत्थान के लिए स्टैंडअप इंडिया योजना को अप्रैल, 2016 में लॉन्च किया गया था।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY)
2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की लॉन्चिंग के बाद से वंचितों को 4,43,495 करोड़ रुपये का लोन बांटा जा चुका है, इनमें से 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं थीं। पहले छोटे व्यापारों के लिए बैंकों की तरफ से कोई सहायता नहीं मिलती थी, और इसके लिए ऋण लेने में काफी संघर्ष करना पड़ता था। GEDI की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 73 प्रतिशत भारतीय महिलाएं वित्तीय संस्थानों से लोन लेने में विफल रहीं। इस रिपोर्ट में 30 देशों को शामिल किया गया, और भारत इसमें नीचे के पांच देशों में से एक था। आज PMMY द्वारा 5 करोड़ छोटे व्यापारियों को मदद मिली है, इनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं। इस योजना में ऋण की वापसी भी काफी आसान है, और बिचौलियों को दूर रख कर व्यवसायी और वित्तीय संस्थान को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, जिसमें काम करने वालों में लैंगिक समानता पूरी दुनिया में सबसे निचले स्तर पर है, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जैसे कदम से महिलाएं सशक्त और आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनी हैं, साथ ही उन्हें देश की वर्कफोर्स में महत्वपूर्ण और बराबर की भागीदारी मिली है।
स्टार्टअप इंडिया
स्टार्टअप इंडिया योजना 1 अप्रैल, 2017 को प्रभावी हुई थी। इसे 100 करोड़ रुपये के फंड से शुरू किया गया था। इस योजना का मकसद भी टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के क्षेत्र में महिला उद्यमियों की भागीदारी को बढ़ाना है। इस योजना के तहत स्कूल स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर छात्राओं को पुराने विषयों को छोड़कर, नई तकनीक से जुड़े करियर को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यही वजह है कि यह योजना हर स्तर पर उद्यमिता को आगे बढ़ाती है। महत्वाकांक्षी तकनीकी उद्यमी अब मार्गदर्शन, फंडिंग में मदद, कर लाभ और कानूनी सहायता के अलावा देशभर में फैले राष्ट्रीय संस्थानों में, 13 स्टार्टअप सेंटर और 18 Technology Business Incubators के रूप में मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत पहले वर्ष में लाभान्वित होने वाले 1.04 करोड़ लोगों में से 40 प्रतिशत महिलाएं थीं।
स्टैंड अप इंडिया
स्टैंडअप इंडिया योजना को अप्रैल, 2016 में शुरू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य विशेष रूप से अनुसूचित जाति/जनजाति की महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण के जरिये उत्थान करना था। इस योजना के तहत 10 लाख से एक करोड़ रुपये तक ऋण दिया जाता है, इससे अब तक 50 हजार लोगों को फायदा मिल चुका है। आसानी से उपलब्ध पूंजी, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के साथ ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को इस योजना के जरिए उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
डिजिटल इंडिया
महिला ई-हाट को डिजिटल इंडिया, स्टैंडअप इंडिया और मेक इन इंडिया पहल के हिस्से के तौर पर मार्च, 2016 में लॉन्च किया गया था। महिला ई-हाट, महिला उद्यमियों के लिए एक स्वदेशी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है, जहां वो अपने उत्पादों को बगैर किसी शुल्क के प्रचारित कर सकती हैं, और बेच भी सकती हैं। यह प्लेटफॉर्म महिला उद्यमियों को अपने उत्पादों को प्रभावी तरीके से बड़े स्तर पर ग्राहकों तक पहुंचाने में मदद करता है। इतना ही नहीं किसी बिचौलिये के नहीं होने की वजह से सीधे ग्राहकों को अपने उत्पाद बेचने से मुनाफा भी ज्यादा होता है। महिला और बाल विकास मंत्रालय के अनुसार करीब तीन लाख महिला उद्यमियों ने अपने बिजनेस को इस पोर्टल पर रजिस्टर कराया है, और महज छह महीनों के भीतर ही लगभग बीस करोड़ रुपये का व्यवसाय किया है और यह संख्या रोजाना बढ़ती जा रही है।
स्किल इंडिया
स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत पहले वर्ष में लाभान्वित होने वाले 1.04 करोड़ लोगों में से 40 प्रतिशत महिलाएं थीं। यह कार्यक्रम उन महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ, जिन्होंने कभी पारंपरिक व्यावसायिक शिक्षा हासिल नहीं की थी, या फिर जिन्हें किन्हीं कारणों से स्कूल और कॉलेज छोड़ देना पड़ा था। स्किल इंडिया के माध्यम से स्कूल नहीं जाने वाली और परंपरागत शिक्षा और व्यवसायिक योग्यता से वंचित रहने वाली लाखों महिलाओं के पास अब हुनर और प्रशिक्षण पाने का मौका है, जिसके माध्यम से वो खुद को सशक्त बना सकती हैं व आत्मनिर्भर हो सकती हैं।
क्रांतियां एक दिन में बदलाव लाती हैं, लेकिन सुधारों में समय लगता है। एक देश, जहां आजादी के बाद से ही महिला सशक्तीकरण का मुद्दा हमेशा नजरंदाज किया जाता रहा हो, वहां यह देख कर खुशी होती है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने को प्रेरित करने वाली नीतियां सही तरीके से लागू की जा रही हैं। आर्थिक और दूसरे मामलों में महिलाओं का सशक्तीकरण बेहद मुश्किल काम है, लेकिन इस दिशा में गंभीर प्रयास शुरू किए जा चुके हैं। अब यह केवल समय की बात है कि, जब हम इन प्रयासों को फलीभूत होते हुए देखेंगे, और हमारा देश सही मायने में महिलाओं की मजबूत भागीदारी के साथ वास्तव में विकसित राष्ट्र बनेगा।
(शुचि सिंह कालरा महिला केंद्रित मुद्दों पर लिखती हैं। इनकी दो किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। इनका ट्विटर हैंडल @shuchikalra है)
ऊपर व्यक्त की गई राय लेखक की अपनी राय है। यह आवश्यक नहीं है कि नरेन्द्र मोदी वेबसाइट एवं नरेन्द्र मोदी ऐप इससे सहमत हो।
©AazadKumar708
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here