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Shayar hona chahta hoon, safar jaari hai
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ग़ज़ल -------- दो जहाँ के परे ख़ाब रोते रहे और हम चैन से रात सोते रहे ज़िन्दगी बेदिली से नहीं जी कभी हम मगर दर्द का बोझ ढोते रहे आरज़ू जुस्तजू चाहतें खाहिशें मन्नतें मिन्नतें काम होते रहे ओढ़ कर शाम को बादलों का नक़ाब प्यार को प्यार से हम भिगोते रहे बात बनती रही टूटती भी रही पास आते रहे दूर होते रहे ©UrbanFakeer Gautam Sharma
UrbanFakeer Gautam Sharma
13 Love
Saturday, 29 May | 08:00 pm
17 Bookings
ग़ज़ल --------- ग़म होता है जब कोई उनवान बदलता है ऐसा लगता है दिल का मेहमान बदलता है कसमों वादों जैसी कोई चीज़ नहीं होती हाल बदल जाये तो फिर पैमान बदलता है दावा पुख़्ता हो तो अड़ना अच्छा है पर वो अपनी बात मनाने को मीज़ान बदलता है सच्चा नग़मा काफ़ी था पहचान बनाने को झूठी ग़ज़लें कह कर क्यूँ पहचान बदलता है लफ़्ज़ नए हैं लेकिन सारी बात पुरानी है लाश वही है उसका कब्रस्तान बदलता ©UrbanFakeer Gautam Sharma
12 Love
Friday, 5 February | 09:00 pm
26 Bookings
ख़ाब की बातें करूँ या मैं हक़ीक़त बोल दूँ ख़ाब ही गर हो हक़ीक़त फिर कहो मैं क्या कहूँ वो मुरद्दफ़ इक ग़ज़ल हर बात उसपे जा टिके कोई भी तरक़ीब हो उसपे ले जा के छोड़ दूँ दोस्तों ने कह दिए अशआर लाखों और मैं सोचता ही रह गया कैसे बड़ा शाइर बनूँ अब बिखरने के अलावा और क्या है रास्ता अब बिखर के ही मिलेगा आख़िरश मुझको सुकूँ बिन कहे सब कुछ कहूँ आता नहीं ये फ़न मुझे हैसियत ही क्या मिरी जो एक मिसरा कह सकूँ इश्क़ में कैसा नज़ारा बन गया है देख लो मुस्कुराऊँ याद करके आह भर के रो पड़ूँ ©UrbanFakeer Gautam Sharma
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