Dr Vaishali gupta

Dr Vaishali gupta Lives in Mirzapur-cum-Vindhyachal, Uttar Pradesh, India

जान जाए मेरे दिल के राज को,इतनी भी मैं किसी के लिए खास नही, मौन की भाषा को पढ़ पाना इतना भी आसान नही।

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कभी कभी मुझे मेरे अस्तित्व पर शक होता है, जब मेरे न होने पर भी सब कुछ होता है। दिल भरी महफिल में भी रो देता हैं, तब मुझे मेरे अस्तित्व पर शक होता है। मेरे अपनो का ना मुझ पर हक होता है, फूलों से बिछे राह पर भी मुश्किल सफर होता हैं, किसी अपने के मन में मेरे लिए छल होता है, तब मुझे मेरे अस्तित्व पर शक होता है। जब कभी अपने और अपनो के बीच में द्वंद होता है, दिल ही दिल में मुश्किलों से जंग होता है, मेरे पीछे मेरे हुनर पर व्यंग होता है, हाँ,तब मुझे मेरे अस्तित्व पर शक होता है। ©Dr Vaishali gupta

#drvaishali #Red  कभी कभी मुझे मेरे अस्तित्व पर शक होता है,
जब मेरे न होने पर भी सब कुछ होता है।
दिल भरी महफिल में भी रो देता हैं,
तब मुझे मेरे अस्तित्व पर शक होता है।

मेरे अपनो का ना मुझ पर हक होता है,
फूलों से बिछे राह पर भी मुश्किल सफर होता हैं,
किसी अपने के मन में मेरे लिए छल होता है,
तब मुझे मेरे अस्तित्व पर शक होता है।

जब कभी अपने और अपनो के बीच में द्वंद होता है,
दिल ही दिल में मुश्किलों से जंग होता है,
मेरे पीछे मेरे हुनर पर व्यंग होता है,
हाँ,तब मुझे मेरे अस्तित्व पर शक होता है।

©Dr Vaishali gupta
#LOVEGUITAR

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माना की गलती मेरी थी, पर क्या उस गलती की इतनी बड़ी सजा जरूरी थी। तूने सबकुछ खो कर अपना, मुझको पाया था,मैने तेरे लिए अपना आत्मसम्मान तक भुलाया था,लेकिन पता नहीं क़िस्मत की क्या मंजूरी थी, माना कि गलती मेरी थी पर क्या उस गलती की इतनी बड़ी सजा जरूरी थी। दोस्ती का भी एक रिश्ता गहरा था मेरा,तूफानों के भंवर में उसको बचाने की कोशिश हजारों की थी,दिये सी रौशन थी मैं,और खुद से उम्मीद सूरज के उजालों की थी, माना कि गलती मेरी थी, पर क्या उस गलती की इतनी बड़ी सजा जरूरी थी। हर रिश्ते से ऊपर एक रिश्ता है मेरा,दुनिया में लाने का श्रेय है जिसका,अपने और उनके खुशियों में से एक का चुनाव करने की सोच भी बेफिजूल ही थी,उनकी मुस्कुराहट के बिना हर दिन हर शाम अधूरी थी, माना कि गलती मेरी थी, पर क्या उसकी इतनी बड़ी सजा जरूरी थी। शिकायत नही है मुझे किसी रिश्ते से, मेरी ओर मेरी खुशियों की तो हमेशा से दूरी थी, माना गलती मेरी थी, लेकिन पूछना चाहती हूं हर रिश्ते से, क्या उस गलती की इतनी बड़ी सजा जरूरी थी। ©Dr Vaishali gupta

#HeartBreak #drvaishali  माना की गलती मेरी थी,
पर क्या उस गलती की इतनी बड़ी सजा जरूरी थी।

तूने सबकुछ खो कर अपना, मुझको पाया था,मैने तेरे लिए अपना आत्मसम्मान तक भुलाया था,लेकिन पता नहीं क़िस्मत की क्या मंजूरी थी,
माना कि गलती मेरी थी
पर क्या उस गलती की इतनी बड़ी सजा जरूरी थी।

दोस्ती का भी एक रिश्ता गहरा था मेरा,तूफानों के भंवर में उसको बचाने की कोशिश हजारों की थी,दिये सी रौशन थी मैं,और खुद से उम्मीद सूरज के उजालों की थी,
माना कि गलती मेरी थी,
पर क्या उस गलती की इतनी बड़ी सजा जरूरी थी।

हर रिश्ते से ऊपर एक रिश्ता है मेरा,दुनिया में लाने का श्रेय है जिसका,अपने और उनके खुशियों में से एक का चुनाव करने की सोच भी बेफिजूल ही थी,उनकी मुस्कुराहट के बिना हर दिन हर शाम अधूरी थी,
माना कि गलती मेरी थी,
पर क्या उसकी इतनी बड़ी सजा जरूरी थी।

शिकायत नही है मुझे किसी रिश्ते से,
मेरी ओर मेरी खुशियों की तो हमेशा से दूरी थी,
माना गलती मेरी थी,
लेकिन पूछना चाहती हूं हर रिश्ते से,
क्या उस गलती की इतनी बड़ी सजा जरूरी थी।

©Dr Vaishali gupta

वक्त की नजाकत से रूबरू होना चाहती हूं,, जैसी मैं पहले थी,वैसी हुबहू होना चाहती हूं। ©Dr Vaishali gupta

#sagarkinare #drvaishali  वक्त की नजाकत से रूबरू होना चाहती हूं,,
जैसी मैं पहले थी,वैसी हुबहू होना चाहती हूं।

©Dr Vaishali gupta

बेशक दोस्ती निभाने में हम थोड़े कच्चे थे, लेकिन ईमान मेरा हमेशा ही सच्चा था, तकलीफ होती है गर इतनी मेरी दोस्ती से तुझे, तो हमारी इस दोस्ती का टूट जाना ही अच्छा था। ©Dr Vaishali gupta

#drvaishali #booklover  बेशक दोस्ती निभाने में हम थोड़े कच्चे थे,
लेकिन ईमान मेरा हमेशा ही सच्चा था,
तकलीफ होती है गर इतनी मेरी दोस्ती से तुझे,
तो हमारी इस दोस्ती का टूट जाना ही अच्छा था।

©Dr Vaishali gupta

खो सी गयी थी शख्सियत मेरी आज बहुत दिनों बाद मैं खुद से मिली हूं। ©Dr Vaishali gupta

#morningcoffee #drvaishali  खो सी गयी थी शख्सियत मेरी
आज बहुत दिनों बाद मैं खुद से मिली हूं।

©Dr Vaishali gupta
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