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मैं उस देश की बेटी हूं जहां नेताजी भगत सिंह जैसे वीर हुये मै उस देश की बेटी हूँ जहां दाल दाल पर सोने की चिड़िया बैठा करे मै उस देश की बेटी हूँ जीसकी धरती स्वर्ण मोती उगले मै उस देश की बेटी हूँ जहां हर ५० मील पर रूप रंग वेश भाषा बदले मै उस देश की बेटी हूँ जीसकी नदियो का जल पापो को धोये मै उस देश की बेटी हूँ जहां हिन्दू मुस्लिम सीख इसाइ साथ जियें मै उस देश की बेटी हूँ जहां मातृ रूप नारियों के आगे सर झुके मैं उस देश की बेटी हूँ जीसकी कीमती विरासत हर एक का मन मोह ले मैं उस देश की बेटी हूँ जहां रमजान में राम और दीवाली में अली जुड़ें मैं उस देश की बेटी हूँ जहां बारिश हो उत्तरी आँचल पर और मेघ आये पश्चिम से मैं उस देश की बेटी हूँ जीसकी पवन मिट्टी मन को शुद्ध करे मैं उस देश की बेटी हूँ जीसके भूगोल में भिन्न भिन्न श्रोत बसें मैं उस देश की बेटी हूँ जीसकी संस्कृति को पूरा ब्रह्माण्ड नमन करे मैं उस देश की बेटी हूँ जहां उत्तरी पूर्बांचल की चाय पीकर दक्षिण चुस्कियां ले मैं उस देश की बेटी हूँ जहाँ हिमालय की गौद से निकलता पानी हर कोने की प्यास बुझाए हा मैं उस देश की बेटी हूँ जहां हर बाला देव की प्रतिमा, बच्चा बच्चा राम है जिस तपोभूमि पर खिला है बचपन चंदन सा शीतल हर आँगन मैं उस देश की बेटी हूँ जो स्वर्ग सा है सुन्दर, जिसकी चैतन्य सीचें जीवन जहां भाईचारा और प्रेम का संपर्क उस श्रेष्ठ देश की बेटी हूँ मैं - महुआ चक्रवर्ती ©PustakRatna

#कविता #deedarealfaz #RepublicDay #pustakratna  मैं उस देश की बेटी हूं 
जहां नेताजी भगत सिंह जैसे वीर हुये
मै उस देश की बेटी हूँ 
जहां दाल दाल पर सोने की चिड़िया बैठा करे 
मै उस देश की बेटी हूँ 
जीसकी धरती स्वर्ण मोती उगले 
मै उस देश की बेटी हूँ 
जहां हर ५० मील पर रूप रंग वेश भाषा बदले 
मै उस देश की बेटी हूँ 
जीसकी नदियो का जल पापो को धोये 
मै उस देश की बेटी हूँ 
जहां हिन्दू मुस्लिम सीख इसाइ साथ जियें 
मै उस देश की बेटी हूँ 
जहां मातृ रूप नारियों के आगे सर झुके 
मैं उस देश की बेटी हूँ 
जीसकी कीमती विरासत हर एक का मन मोह ले 
मैं उस देश की बेटी हूँ 
जहां रमजान में राम और दीवाली में अली जुड़ें 
मैं उस देश की बेटी हूँ 
जहां बारिश हो उत्तरी आँचल पर और मेघ आये पश्चिम से 
मैं उस देश की बेटी हूँ
जीसकी पवन मिट्टी मन को शुद्ध करे 
मैं उस देश की बेटी हूँ
जीसके भूगोल में भिन्न भिन्न श्रोत बसें 
मैं उस देश की बेटी हूँ 
जीसकी संस्कृति को पूरा ब्रह्माण्ड नमन करे 
मैं उस देश की बेटी हूँ 
जहां उत्तरी पूर्बांचल की चाय पीकर दक्षिण चुस्कियां ले
मैं उस देश की बेटी हूँ जहाँ हिमालय की गौद से
निकलता पानी हर कोने की प्यास बुझाए 
हा मैं उस देश की बेटी हूँ 
जहां हर बाला देव की प्रतिमा, बच्चा बच्चा राम है 
जिस तपोभूमि पर खिला है बचपन 
चंदन सा शीतल हर आँगन 
मैं उस देश की बेटी हूँ 
जो स्वर्ग सा है सुन्दर, जिसकी चैतन्य सीचें जीवन 
जहां भाईचारा और प्रेम का संपर्क 
उस श्रेष्ठ देश की बेटी हूँ मैं

- महुआ चक्रवर्ती

©PustakRatna

मैं उस देश की बेटी हूं जहां नेताजी भगत सिंह जैसे वीर हुये मै उस देश की बेटी हूँ जहां दाल दाल पर सोने की चिड़िया बैठा करे मै उस देश की बेटी हूँ जीसकी धरती स्वर्ण मोती उगले मै उस देश की बेटी हूँ जहां हर ५० मील पर रूप रंग वेश भाषा बदले

12 Love

When the terror of hate will chase The fear will begin to fade, Oh ! How blind have you become Priceless treasures are being torn, The mother's heart is permeated with anguish of prayers, The pleading hands are tired.. desiccated by the hammer of time erroneous souls shall reclaim their lost valour, While Humanity is at stake Civil war's knocking at the gate, Law is no longer — Of the people, by the people & for the people.. the constitution is biased now.. Constitution is just a facade, Sufferers are bleeding through eyes and the justice has become surreal, The backbone of the society has been challenged by the law and order, Oblivious to the consequences.. how paralysed the country will become, Unity in diversity is just a slogan now Divide and rule has become the new policy, Yet mother land weeps every night to protect her children’s humanity. - Prathna Das ©PustakRatna

#कविता #deedarealfaz #RepublicDay #pustakratna  When the terror of hate will chase
The fear will begin to fade,
Oh ! How blind have you become 
Priceless treasures are being torn,
The mother's heart is permeated with anguish of prayers,
The pleading hands are tired..
desiccated by the hammer of time
erroneous souls shall reclaim their lost valour,
While Humanity is at stake 
Civil war's knocking at the gate,
Law is no longer —
Of the people, by the people & for the people..
the constitution is biased now..
Constitution is just a facade,
Sufferers are bleeding through eyes
and the justice has become surreal,
The backbone of the society
has been challenged by the law and order,
Oblivious to the consequences.. 
how paralysed the country will become,
Unity in diversity is just a slogan now
Divide and rule has become the new policy,
Yet mother land weeps every night
to protect her children’s humanity.

- Prathna Das

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When the terror of hate will chase The fear will begin to fade, Oh ! How blind have you become Priceless treasures are being torn, The mother's heart is permeated with anguish of prayers, The pleading hands are tired.. desiccated by the hammer of time erroneous souls shall reclaim their lost valour,

11 Love

"भारत" हमने सुना था एक है भारत! सब मुल्कों से नेक है भारत! लेकिन जब नज़दीक से देखा, सोच समझकर ठीक से देखा, हमने नक्शे कुछ और ही पाए ! थे लोगों ने अपने चेहरे छुपाए ! एक से एक की बात जुदा है, एकता का भी किरदार जुदा है ! जो कुछ हमको था पढ़ाया, कहीं भी वह नज़र ना आया ! सिर्फ कहने को ही देश आज़ाद हुआ है, आज़ादी-आज़ादी का नारा रटा है! आज़ादी है, काश! लोग भी आज़ाद हो जाएं, हमदर्द का क्या किरदार निभाएंगे - शेख मजीद ©PustakRatna

#कविता #deedarealfaz #RepublicDay #pustakratna  "भारत"
हमने सुना था एक है भारत!
सब मुल्कों से नेक है भारत!
लेकिन जब नज़दीक से देखा,
सोच समझकर ठीक से देखा,
हमने नक्शे कुछ और ही पाए !
थे लोगों ने अपने चेहरे छुपाए !
एक से एक की बात जुदा है,
एकता का भी किरदार जुदा है ! 
जो कुछ हमको था पढ़ाया,
कहीं भी वह नज़र ना आया !
सिर्फ कहने को ही देश आज़ाद हुआ है,
आज़ादी-आज़ादी का नारा रटा है!
आज़ादी है, काश! लोग भी आज़ाद हो जाएं,
हमदर्द का क्या किरदार निभाएंगे

- शेख मजीद

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"भारत" हमने सुना था एक है भारत! सब मुल्कों से नेक है भारत! लेकिन जब नज़दीक से देखा, सोच समझकर ठीक से देखा, हमने नक्शे कुछ और ही पाए ! थे लोगों ने अपने चेहरे छुपाए ! एक से एक की बात जुदा है,

7 Love

आज का दिन,26जनवरी का दिन, हम भारतीयों के लिये गौरव का दिन | इस दिन संविधान लागू हुआ हमारा, जो है शासन का आधार | कानून व्यवस्था इसमें सारी, बतायें गये कर्तव्य-अधिकार | दिल्ली है राजधानी हमारी, सब दिलों पर करती राज | आज राजपथ से आती आवाज़, हम हैं दुनियां के जाबांज| आओ दिखायें हम अपने अंदाज , ऐसे ही नहीं करते,हम दिलों पर राज | राजपथ देता है आवाज, देखो सब भारत को आज | झाँकी दिखाते है ,हिन्दुस्तान की, विविधता नहीं है केवल नाम की | तरह-तरह की पहनें पोशाक, पर मन से सब हैं एक साथ | चाहे हो कश्मीर,चाहे हो बंगाल, आयेगी सब तरफ एक ही आवाज़ | भारत माता की जय,भारत माता की जय | वंदे मातरम,वंदे मातरम | दिखाते हैं दुनियां को , कितना है हम में दम | आजादी मिलने के बाद , हमने क्या-क्या किये करम | तरक्की का हर दृश्य, भारतीय संस्कृति का परिचय | जावानों के बुलंद हौंसले, किसानों के खेत खलिहान | विज्ञान की आधुनिक तकनीक, खेलो में पायी कितनी जीत | जल-थल-वायु सेना का शौर्य, सलाम करता है इन सबको हमारा मौर्य |(राष्ट्रपति) - डॉ ममता सूद ©PustakRatna

#कविता #deedarealfaz #RepublicDay #pustakratna  आज का दिन,26जनवरी का दिन,
हम भारतीयों के लिये गौरव का दिन |

इस दिन संविधान लागू हुआ हमारा,
जो है शासन का आधार |
कानून व्यवस्था इसमें सारी,
बतायें गये कर्तव्य-अधिकार |

दिल्ली है राजधानी हमारी,
सब दिलों पर करती राज |
आज राजपथ से आती आवाज़,
हम हैं दुनियां के जाबांज|
आओ दिखायें हम अपने अंदाज ,
ऐसे ही नहीं करते,हम दिलों पर राज |

राजपथ देता है आवाज,
देखो सब  भारत को आज |
झाँकी दिखाते है ,हिन्दुस्तान की,
विविधता नहीं है केवल नाम की |

तरह-तरह की पहनें पोशाक,
पर मन से सब हैं एक साथ |
चाहे हो कश्मीर,चाहे हो बंगाल,
आयेगी सब तरफ एक ही आवाज़ |
भारत माता की जय,भारत माता की जय |
वंदे मातरम,वंदे मातरम |

दिखाते हैं दुनियां को ,
कितना है हम में दम |
आजादी  मिलने के बाद ,
हमने क्या-क्या किये करम |

तरक्की का हर दृश्य,
भारतीय संस्कृति का परिचय |
जावानों के बुलंद हौंसले,
किसानों के खेत खलिहान |
विज्ञान की आधुनिक तकनीक,
खेलो में पायी कितनी जीत |
जल-थल-वायु सेना का शौर्य,
सलाम करता है इन सबको हमारा मौर्य |(राष्ट्रपति)

- डॉ ममता सूद

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आज का दिन,26जनवरी का दिन, हम भारतीयों के लिये गौरव का दिन | इस दिन संविधान लागू हुआ हमारा, जो है शासन का आधार | कानून व्यवस्था इसमें सारी, बतायें गये कर्तव्य-अधिकार |

10 Love

उस दिन मैं कुछ यूं हैरान था। ना मन्दिर में हिन्दू ना मस्जिद में मुसलमान था। जब काट रहा इंसान को इंसान था। यह देख अल्लाह और भगवान भी हैरान था। उस दिन शहर तो मेरा खाली था। भीड़ थी कब्रिस्तान में जगमगा रहा शमशान था। चूल्हे ठंडे पड़े थे उस दिन, जल रहा हर एक मकान था। बहुत शोर था उस दिन मेरे शहर में, मगर चुपचाप कौन है मैं कहीं रो रहा हिंदुस्तान था। उसे मार दिया बस इतनी सी बात पर, वह धर्म से हिंदू मजहब से मुसलमान था। - आकाश मालिया ©PustakRatna

#कविता #deedarealfaz #RepublicDay #pustakratna  उस दिन मैं कुछ यूं हैरान था।
ना मन्दिर में हिन्दू ना मस्जिद में मुसलमान था।

जब काट रहा इंसान को इंसान था।
यह देख अल्लाह और भगवान भी हैरान था।

उस दिन शहर तो मेरा खाली था।
भीड़ थी कब्रिस्तान में जगमगा रहा शमशान था।

चूल्हे ठंडे पड़े थे उस दिन,
जल रहा हर एक मकान था।

बहुत शोर था उस दिन मेरे शहर में,
मगर चुपचाप कौन है मैं कहीं रो रहा हिंदुस्तान था।

उसे मार दिया बस इतनी सी बात पर,
वह धर्म से हिंदू मजहब से मुसलमान था।

- आकाश मालिया

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उस दिन मैं कुछ यूं हैरान था। ना मन्दिर में हिन्दू ना मस्जिद में मुसलमान था। जब काट रहा इंसान को इंसान था। यह देख अल्लाह और भगवान भी हैरान था। उस दिन शहर तो मेरा खाली था। भीड़ थी कब्रिस्तान में जगमगा रहा शमशान था।

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