Mo Rizwan Mansuri

Mo Rizwan Mansuri Lives in Ratlam, Madhya Pradesh, India

IAS aspirant

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#ik_riwaayat

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बदला न अपने आप को जो थे वही रहे मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे -निदा फ़ाज़ली

 बदला न अपने आप को जो थे वही रहे

मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे


-निदा फ़ाज़ली

बदला न अपने आप को जो थे वही रहे मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे -निदा फ़ाज़ली

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वक़्त के के ख़्याल हे यह सुनो कुछ तो कह रहे होंगे में क्यों न करु मातम इस दिन को , मेरे हिस्से के गुलाब उन्हें कोई और दे रहे होंगे -मो.रिज़वान मंसूरी

 वक़्त के के ख़्याल हे यह सुनो कुछ तो कह रहे होंगे

में क्यों न करु मातम इस दिन को , मेरे हिस्से के गुलाब उन्हें कोई और दे रहे होंगे


-मो.रिज़वान मंसूरी

वक़्त के के ख़्याल हे यह सुनो कुछ तो कह रहे होंगे में क्यों न करु मातम इस दिन को , मेरे हिस्से के गुलाब उन्हें कोई और दे रहे होंगे -मो.रिज़वान मंसूरी

8 Love

कोई नहीं उस आँख सा , कीमती आँख हे वो किसी को मिला जरूर है, मेरी मगर आँखों का ख़्वाब हे वो उसके आने से चेहरे पर ख़ुशी आती है लोग दवाई के आदि हे, मुझ मरीज़ का ईलाज़ हे वो -मोहम्मद रिज़वान

 कोई नहीं उस आँख सा , कीमती आँख हे वो
किसी को मिला जरूर है, मेरी मगर आँखों का ख़्वाब हे वो

उसके आने से चेहरे पर ख़ुशी आती है
लोग दवाई के आदि हे, मुझ मरीज़ का ईलाज़ हे वो


-मोहम्मद रिज़वान

कोई नहीं उस आँख सा , कीमती आँख हे वो किसी को मिला जरूर है, मेरी मगर आँखों का ख़्वाब हे वो उसके आने से चेहरे पर ख़ुशी आती है लोग दवाई के आदि हे, मुझ मरीज़ का ईलाज़ हे वो -मोहम्मद रिज़वान

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जो था में वो किसी को दिखा नहीं अब क्या हुआ यह पता नहीं, में हु वहाँ जहाँ से सफ़र हे आख़िरी वो हे कहाँ पता नहीं, वो हे कहाँ यहाँ पर जो नज़र में रहे गया वो मग़र वो तिल हे अब तक यही -मो.रिज़वान मंसूरी

 जो था में वो किसी को दिखा नहीं
अब क्या हुआ यह पता नहीं,

में हु वहाँ जहाँ से सफ़र हे  आख़िरी
वो हे कहाँ पता नहीं,

वो  हे कहाँ यहाँ पर जो नज़र में रहे
गया वो मग़र वो तिल हे अब तक यही


-मो.रिज़वान मंसूरी

जो था में वो किसी को दिखा नहीं अब क्या हुआ यह पता नहीं, में हु वहाँ जहाँ से सफ़र हे आख़िरी वो हे कहाँ पता नहीं, वो हे कहाँ यहाँ पर जो नज़र में रहे गया वो मग़र वो तिल हे अब तक यही -मो.रिज़वान मंसूरी

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بادشاہی کا اعلان ہے عوام کو آوازِ ن اٹھاو اٹھا چکےتم حت حم کرسی پر بیٹھنے کو لیے اب ہم آواز دینگے تمہیں زمین پر بیٹھنے کے لیے ہم ہی ہے بادشاہ ہم ہی ہے عوام تم ہو محز بارے لگنے کے لئے محمد رضوان

 بادشاہی کا اعلان ہے عوام کو 
آوازِ ن اٹھاو

اٹھا چکےتم حت حم کرسی
پر بیٹھنے کو لیے 

اب ہم آواز دینگے 
تمہیں زمین پر بیٹھنے کے لیے

ہم ہی ہے بادشاہ ہم ہی ہے عوام 
تم ہو محز بارے لگنے کے لئے




محمد رضوان

بادشاہی کا اعلان ہے عوام کو آوازِ ن اٹھاو اٹھا چکےتم حت حم کرسی پر بیٹھنے کو لیے اب ہم آواز دینگے تمہیں زمین پر بیٹھنے کے لیے ہم ہی ہے بادشاہ ہم ہی ہے عوام تم ہو محز بارے لگنے کے لئے محمد رضوان

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