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उम्र के बढ़ते कारवां में अहसास हुआ कि फिज़ूल होती है दोस्ती इन ख़ुदग़र्ज़ इंसानों से कुछ छोड़ जाते है कुछ छूट जाते अडिग भी नहीं रहते अपने किए वादों पे इसलिए किताबो को गले लगा लिया हमने कारगर भी होती है और पलटती भी नही अपनी कही बातो से! ©Words Of Imagination
Words Of Imagination
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घर या दफ्तर पर नहीं, बल्कि जो सरहद पर जाते है मातृभूमि को भारत की जो अपने लहू से सजाते हैं भारत को स्वतंत्र होने का अर्थ समझते है वही तो भारत की शान कहलाते है नमन है उन सैनिकों को जो भारत माता की खातिर मेरी, शहीद हो जाते है! ©Words Of Imagination
6 Love
भीड़ की कश्मकश में रोज़ भूल जाते है हम जिस सुकून की तलाश है हमे वो तो अक्सर खुद के अंदर ही पाते है हम भीड़ में तो इंसान खो जाया करते है पर काफिले तो अकेले ही बनाते है हम! ©Words Of Imagination
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मिला एक मुसाफिर मुझे पूछा किस मुल्क की निवासी हो? राम रहीम एक जहां मैं उस मिट्टी से आती हूं आओ भारत के बारे में कुछ सुनती हुं अनेकता में अकेता की मिसाल कायम है कि हिंदी मातृभाषा यहां की उर्दू मेरे भारत ने दी सचिन, अभिनंदन, कलाम इस देश में पैदा हुए गुंजन, नीरजा कल्पना ने आसमान के तारे छूए हरे रंग का लहज़ा भी हूं भगवा की भी मैं वाणी हुं उसे कहा धर्म बताओ? मैंने कहा हिंदुस्तानी हूं! ©Words Of Imagination
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