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सारा झगड़ा ही "ख्वाहिशों" का है, न कम चाहिए न गम चाहिए...
खान साहेब की कलम से ©AK KHAN
AK47OFFICIAL
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एक अलग सा सुकून मिलता है जब अल्लाह के खौफ से असतगफार के आंसू आंखो से निकल आते हैं ©AK KHAN
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उन्हें अपना समझने से क्या फायदा जिनके अंदर आपके लिए कोई अपनापन ही न हो ©AK KHAN
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"मैं आदम ज़ात हूँ ___मौला तू मुझको जानता तो है "कि ज्यादा आज़माइश पर मैं __ज़न्नत हार जाऊँगा ©AK KHAN
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जब तक मेरे पास पढ़ने के लिए "कुरान" है,तब तक मुझे पूरा यकीन है, कि जिंदगी अपना रुख जरूर बदलेगी "इंशा अल्लाह" ©AK KHAN
लोग आइना कभी ना देखते अगर आईने में चित्र की जगह चरित्र दिखाई देता ©AK KHAN
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