प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा) Lives in Lucknow, Uttar Pradesh, India

प्रांत कार्य कारनी सदस्य,engineer, A. B. V. P. leader, ,dist coordinater -swami sankrachary parishad,youth activist, fb id name -prashant pandit,,, and you can chek myself on whatsapp -9453411403

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#विचार #Pandit #Mood  Dear पंडिताईन 
तुम ई जो मेरी खुशियों मे अपना सब कुछ ढूंढ लेती हो, मेरे चेहरे पर एक मुस्कराहट से तुम्हारे गाल पर गुलाब जामुन उभर आते है न , आज के रिश्तों के मोल भाव के दौर मे भी मेरे लिए और बस मेरे लिए हो के रहना 
यही सब कुछ मुझे और मेरी आत्मा को धरती पर स्वर्ग का सुख और नरक का भय दुनो दिखाते है 
*तोहर पंडित*

©प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

#Mood #Pandit

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#पंडिताईन💞 #पंडिताईन #कविता  Dear पंडिताईन
बस तुम एक बार हमरे लिए झुक कर के देखो
पुरी उम्र तोहरे कदमो मे ना मिले तो हमार ऐसी
 की तैसी

©प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)
#happykarwachauth #कविता  उसे देख कर चाँद कुछ यू रू बरु हुआ हमसे
कि तुम्हारे चाँद ने मुझको ठग सा लिया है

©प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

#महादेव # मुश्किलो पर मुस्कराना सीख लिया ! गमो को बहलाना सिख लिया !! मगरूर हवाओ से कहो, कि तेवर मे गर्मी रखे... नादान परिंदे ने घरौदा बनाना सीख लिया !! थोड़ी और धार तेज रखो, अपने जख्म ए अंदाज का नादान परिंदे ने तंज का मजाक बनाना सीख लिया !! और अबकी खीचना पैर तो थोड़ी सी खुद्दारी रखना ! क्युकी लड़के ने पलट कर पहचान बताना सीख लिया... और काँटों जाओ अभी और नुकीली करो अपनी नोक.. हर छालो के दर्द को भी अब, मरहम बनाना सीख लिया ! #पंडित ©प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

#महादेव #पंडित #SAD    #महादेव #
मुश्किलो पर मुस्कराना सीख लिया  ! 
गमो को बहलाना सिख लिया  !! 
मगरूर हवाओ से कहो, कि तेवर मे गर्मी रखे... 
नादान परिंदे ने घरौदा बनाना सीख लिया  !! 
थोड़ी और धार तेज रखो, अपने जख्म ए अंदाज का 
नादान परिंदे ने तंज का मजाक बनाना सीख लिया  !! 
और अबकी खीचना पैर तो थोड़ी सी खुद्दारी रखना  ! 
क्युकी लड़के ने पलट कर पहचान बताना सीख लिया... 
और काँटों जाओ अभी और नुकीली करो अपनी नोक.. 
 हर छालो के दर्द को भी अब, मरहम बनाना सीख लिया  !
 #पंडित

©प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

#SAD

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#महादेव # मुश्किलो पर मुस्कराना सीख लिया ! गमो को बहलाना सिख लिया !! मगरूर हवाओ से कहो, कि तेवर मे गर्मी रखे... नादान परिंदे ने घरौदा बनाना सीख लिया !! थोड़ी और धार तेज रखो, अपने जख्म ए अंदाज का नादान परिंदे ने तंज का मजाक बनाना सीख लिया !! और अबकी खीचना पैर तो थोड़ी सी खुद्दारी रखना ! क्युकी लड़के ने पलट कर पहचान बताना सीख लिया... और काँटों जाओ अभी और नुकीली करो अपनी नोक.. हर छालो के दर्द को भी अब, मरहम बनाना सीख लिया ! #पंडित ©प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

#महादेव #पंडित #SAD  #महादेव #
मुश्किलो पर मुस्कराना सीख लिया  ! 
गमो को बहलाना सिख लिया  !! 
मगरूर हवाओ से कहो, कि तेवर मे गर्मी रखे... 
नादान परिंदे ने घरौदा बनाना सीख लिया  !! 
थोड़ी और धार तेज रखो, अपने जख्म ए अंदाज का 
नादान परिंदे ने तंज का मजाक बनाना सीख लिया  !! 
और अबकी खीचना पैर तो थोड़ी सी खुद्दारी रखना  ! 
क्युकी लड़के ने पलट कर पहचान बताना सीख लिया... 
और काँटों जाओ अभी और नुकीली करो अपनी नोक.. 
 हर छालो के दर्द को भी अब, मरहम बनाना सीख लिया  !
 #पंडित

©प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

#SAD

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लोग आयेंगे, जायेंगे.... आप को पद दिलाने वाले भी हटेंगे.. और दायित्व मिटाने वाले भी नपेंगे.... लेकिन जो आपके जीवन पर्यंत रहेगा वो है आपका "ज्ञान, मेहनत, प्रतिभा " इसीलिए वक्त को हाथ मे रहते हुए अपने आप को बेहतरीन करिये ! खुद पर मेहनत करते हुए हर दिन कुछ नया सीखिए, कुछ ऐसा जो आपकी छोटी छोटी बातो मे सुधार करे, आज की चमक धमक मे आने वाले कल के उज्ज्वल भविष्य को गर्त मे ना डाले क्युकी ये चमक दीपावली मे फुट रहे 3 रुपये वाले पटाखे की तरह है जो बस अपने एक निश्चित दायरे तक ही सीमित है , और सायद खुद के ही कानों तक इनकी आवाज रहती है ... अब हमारे चुनाव पर निर्भर करता है कि हमे 3 रुपये का छुरछुरी या हाईड्रोजन बम बनना है जो आने वाले भविष्य को एक मजबुत परिपाटी पर स्थिर कर सके मजबुती से स्थापित कीजिए खुद को राजनीति खुद बाहे पसारे स्वागत करेगी ©प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

#Books  लोग आयेंगे, जायेंगे.... आप को पद दिलाने वाले भी हटेंगे.. और दायित्व मिटाने वाले भी नपेंगे.... लेकिन जो आपके जीवन पर्यंत रहेगा वो है आपका "ज्ञान, मेहनत, प्रतिभा "      इसीलिए वक्त को हाथ मे रहते हुए अपने आप को बेहतरीन करिये !
खुद पर मेहनत करते हुए हर दिन कुछ नया सीखिए, कुछ ऐसा जो आपकी छोटी छोटी बातो मे सुधार करे, 
आज की चमक धमक मे आने वाले कल के उज्ज्वल भविष्य को गर्त मे ना डाले क्युकी ये चमक दीपावली मे फुट रहे 3 रुपये वाले पटाखे की तरह है जो बस अपने एक निश्चित दायरे तक ही सीमित है  , और सायद खुद के ही कानों तक इनकी आवाज रहती है  ... 
अब हमारे चुनाव पर निर्भर करता है कि हमे 3 रुपये का छुरछुरी या हाईड्रोजन बम बनना है जो आने वाले भविष्य को एक मजबुत परिपाटी पर स्थिर कर सके
 
मजबुती से स्थापित कीजिए खुद को 
राजनीति खुद बाहे पसारे स्वागत करेगी

©प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

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