Princi Mishra

Princi Mishra Lives in Lucknow, Uttar Pradesh, India

वो कलम जो मन के भावों में ज्वार न खड़ा करे, वो मुर्दा है।

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People envy you for who you are because they believe that they can never have what you have, all the while never giving themselves a fair chance or enough time to explore what's unique in them. ©Princi Mishra

 People envy you for who you are because
 they believe that they can never have what 
you have, all the while never giving themselves
 a fair chance or enough time to explore 
what's unique in them.

©Princi Mishra

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10 Love

The world is a dark place, but you can always be the light bearer. ©Princi Mishra

 The world is a dark place,
           but you can always be the light bearer.

©Princi Mishra

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11 Love

In the end all we have is ourselves, the least we can do to make it bearable is be content. ©Princi Mishra

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the least we can do to make it bearable is be content.

©Princi Mishra

Darkest of the nights that haunt a person, don't get filled with joy necessarily but become bearable with family around. Family is the anchor that keeps us standing amidst a storm, when every thing around us is claimed by the raging beast. The familiar scent of trust, love and belongingness intensifies with each tear shed together. ©Princi Mishra

#Quotes #Light  Darkest of the nights that haunt a person, don't get filled with 
joy necessarily but become bearable with family around. 
Family is the anchor that keeps us standing amidst a storm, when every
thing around us is claimed by the raging beast. The familiar
 scent of trust, love and belongingness intensifies with each
 tear shed together.

©Princi Mishra

Family #Light

12 Love

शब-ए-ग़म की अंजुमन का कोई सितारा मैं नहीं हूँ, डूब जाओगे समन्दर में किनारा मैं नहीं हूँ। जुर्म क्या है सफ़-ए-महशर ने पुकारा जो मुझे यूँ, ख़ाक मंज़र में कहीं बुझता शरारा मैं नहीं हूँ। बारहा ख़ुद के मुक़द्दर से गिरी हूँ मैं कदर इस, चाह हूँ सबकी मगर ख़ुद को गवारा मैं नहीं हूँ। ख़ाब भागें क्यों ग़ज़ालों से, इरादें हैं बता क्या, हम-नफ़स यूँ सिर्फ चाहत का नज़ारा मैं नहीं हूँ। चाक़ हैं कर्गस-ए-वीराँ से मरासिम-ओ-ज़माना, नोच खाते हैं, कहीं इनको ख़सारा मैं नहीं हूँ। क़ौल बदली के घरों तक भी सबा लाना कभी तू, भूल जाते हैं सभी बंदिश-ए-आरा मैं नहीं हूँ। सांस हर नौहा-निहाँ ढूँढे तरन्नुम शाद कोई अब, पीढ़ियों का दर्द, गुनाहों का गुज़ारा मैं नहीं हूँ। ज़ात तेरी भी वही "बाग़ी" जिसे कोई ना सहारा, नाज़, यूँ पुर-नूर, गैरों का सवाँरा मैं नहीं हूँ। ©Princi Mishra

#princimishraquotes #baagijazbaat #ग़ज़ल #gazals  शब-ए-ग़म की अंजुमन का कोई सितारा मैं नहीं हूँ,
डूब  जाओगे   समन्दर   में   किनारा  मैं   नहीं   हूँ। 

जुर्म क्या है  सफ़-ए-महशर  ने पुकारा जो  मुझे यूँ,
ख़ाक  मंज़र  में  कहीं  बुझता  शरारा  मैं  नहीं   हूँ।

बारहा  ख़ुद  के  मुक़द्दर  से  गिरी  हूँ  मैं कदर इस,
चाह  हूँ  सबकी  मगर  ख़ुद  को गवारा  मैं नहीं हूँ।

ख़ाब भागें क्यों  ग़ज़ालों  से, इरादें  हैं  बता क्या,
हम-नफ़स यूँ  सिर्फ चाहत का नज़ारा मैं नहीं हूँ।
 
चाक़  हैं  कर्गस-ए-वीराँ  से  मरासिम-ओ-ज़माना,
नोच  खाते  हैं,  कहीं   इनको   ख़सारा  मैं  नहीं हूँ।

 क़ौल बदली के घरों तक भी सबा लाना कभी तू,
भूल  जाते हैं  सभी  बंदिश-ए-आरा  मैं  नहीं   हूँ।

सांस हर नौहा-निहाँ ढूँढे तरन्नुम शाद कोई अब,
पीढ़ियों का दर्द, गुनाहों  का गुज़ारा  मैं नहीं  हूँ।

ज़ात तेरी भी वही "बाग़ी" जिसे कोई ना सहारा,
नाज़,  यूँ  पुर-नूर,  गैरों   का  सवाँरा  मैं  नहीं  हूँ।

©Princi Mishra

वो अधिकतर स्वप्न दम जो अश्रु में हैं तोड़ देते, लीक से हटकर कहीं कुछ ख्याति में हैं जोड़ देते। लड़ रहे हैं जंग हम सब, मौत के आगोश में हैं, ज़िन्दगी का हौंसला क्यों हार में हैं छोड़ देते। ©प्रिंसी मिश्रा ©Princi Mishra

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लीक से हटकर कहीं कुछ ख्याति में हैं जोड़ देते।

लड़  रहे  हैं जंग हम  सब, मौत के आगोश में हैं,
ज़िन्दगी  का हौंसला  क्यों हार  में हैं  छोड़  देते।
                ©प्रिंसी मिश्रा

©Princi Mishra
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