देखो मुझे
देखो मुझे मैं हूं खिला, जब से मुझे सौरव मिला ।
जग तोड़ना चाहे मुझे, फिर भी रहा मैं खिलखिला ।।
मैं फूल हूं सब की वही, लोभी नजर देखे मुझे ।
तोड़ने वाले के भी, कर की बना खुशबू हूं मैं ।।1।।
देखो मुझे-------
भंवरों ने मुझको चूमकर, मुझ से प्रणय की बात की ।
कुछ पल रुके वो चल दिए, ना रूठ फिर भी मैं खिला ।।2।।
देखो मुझे ------
नन्हीं कली था फूल हूं, इस सृष्टि के अनुकूल हूं ।
मैं कब तलक यूं ही रहूं, किस पर मरूं किस पर चढूं ।।3।।
देखो मुझे -------
इन दो से ही मिलना सफल, माटी में मिलूं या मूर्ति पर ।
माली की इच्छा भाग्य है, जैसा भी हो सौभाग्य है ।।4।।
देखो मुझे---‐---
------------ किरन पुरोहित *हिमपुत्री*
©Kiran Purohit
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