" तीन परिंदे उड़े तो आसमान रो पड़ा
वो हंस रहे थे मगर सारा हिंदुस्तान रो पड़ा
थे वो मां भारती के वीर त्रिदेव
शहीद भगत, राजगुरु और सुखदेव "
23 मार्च 1931
"जो अधूरे थे कल मेरे बिना
आज पूरे नजर आ रहे हैं
वो दे रहे हैं जख्म मीठा-मीठा मुझे
न खुल के दिखाते प्यार न नफरत दिखा रहे हैं
जो देखते थे मेरी नजरों से सारी दुनिया को
वो आज मुझसे नजर भी न मिला रहे हैं
तोड़ दिल मेरा देकर गहरे जख्म मुझे
अपना दिल किसी और से लगा रहे हैं
जिन्होंने तोड़ दी सारी हदें बेवफाई की
कमबख्त वो आज मुझे बेवफा बता रहे हैं "
by- Krishnanand Bharatwarshi
krishnanandyadav68@gmail.com
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