White ऐ शाम ठहर ...
रूक आठो पहर ..!
बाकी कई काम है,
देखना कई गांव- शहर !!
खड़ा हैं इंतजार में
कोई पास के नहर
धुंधली हो रही आंखें,
आता क्यूं नहीं नजर ..?
ऐ उम्र तो सबको आनी है
है यह ऐसी बहर ..!
दे दिलासा दिल को,
खुद को समझा "अनवर"
ऐ वक्त तु , थोड़ा ठहर ,
हो जो इरादा अगर ..!!
अनवर हुसैन अणु भागलपुरी
©Anwar Hussain Anu Bhagalpuri
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