Anshul Parmar

Anshul Parmar Lives in Hamirpur, Himachal Pradesh, India

दिल के जज़्बातों को कलम से लिखता हूँ, शायर हूँ तभी घड़ी घड़ी तड़पता हूँ।। you can find me on insta @anshul_papps

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ज़िन्दगी बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है, है दर्द मेरे किनारे, ढूंढूं भी तो तुझे कहाँ ढूंढूं, है हिज्र हर किनारे। तस्वीर बनाता था जो शायर, लफ़्ज़ों को गढ़कर, गुम है वो किसी दौर में, ढूंढो है किस किनारे। इन शहर , इन बागों में, ना मिला कोई तुझसा अनमोल, जुगनू तेरी अब आंखों के, ढूंढें हैं मुझे हर किनारे। पूछा नहीं तूने कि, क्या हाल है 'परमार' तेरा मेरे बिन, हर शक्श लगे अपना, मिल जाए दिल हर किनारे। बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल- बच्चों के खेल का मैदान, हिज्र-जुदाई, लफ़्ज़- सार्थक शब्द.

#शायरी #UnderTheStars #Hindi #gazal  ज़िन्दगी बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है, है दर्द मेरे किनारे,
ढूंढूं भी तो तुझे कहाँ ढूंढूं, है हिज्र हर किनारे।

तस्वीर बनाता था जो शायर, लफ़्ज़ों को गढ़कर,
गुम है वो किसी दौर में, ढूंढो है किस किनारे।

इन शहर , इन बागों में, ना मिला कोई तुझसा अनमोल,
जुगनू तेरी अब आंखों के, ढूंढें हैं मुझे हर किनारे।

पूछा नहीं तूने कि, क्या हाल है 'परमार' तेरा मेरे बिन,
हर शक्श लगे अपना, मिल जाए दिल हर किनारे।

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल- बच्चों के खेल का मैदान, हिज्र-जुदाई, लफ़्ज़- सार्थक शब्द.

कुचे से तेरे गुज़रने के, हम नहीं कायल, मुरीद बनालो अपना, बस इतनी सी है ख्वाहिश।

#shayri #Light #Hindi #gazal  कुचे से तेरे गुज़रने के, हम नहीं कायल,
मुरीद बनालो अपना, बस इतनी सी है ख्वाहिश।

आपसा ना देखा कभी, आप थे ना मिले कभी, आपके आते ही ख़्वाबों का चिलमिलाना भी, लाज़मी हो गया।।

#शायरी #Feeling #shayri #Hindi  आपसा ना देखा कभी, आप थे ना मिले कभी,
आपके आते ही ख़्वाबों का चिलमिलाना भी,
लाज़मी हो गया।।

गज़ल अभी आंख खोली ही थी, कि तमाशा खड़ा हो गया, इतना भी कितना बदनसीब था, जो अलहदा-ए-दिल हो गया। लहूलुहान करदो सीना ये, कि आतिश निकले नैनों से, चले तो तुझसे मिलने थे, ना जाने कब अलविदा हो गया। भीड में कलाम करने की, आदत है जनाब आपको, इल्म ना की समुंदर में, इक ज़र्रा कैसे गुम हो गया। फ़रिश्तों अब सोचो मत, यकलख्त इस दुनिया से जुदा करदो, परमार तेरा अब ईद का चांद होना, ना जाने क्यूँ गुनाह हो गया।। अलहदा- जुदा, आतिश- आग, कलाम- बातें, इल्म- ज्ञान, ज़र्रा- परमाणु/ कण

#शायरी #EidChand #shayri #Hindi  गज़ल 

अभी आंख खोली ही थी, कि तमाशा खड़ा हो गया,
इतना भी कितना बदनसीब था, जो अलहदा-ए-दिल हो गया।

लहूलुहान करदो सीना ये, कि आतिश निकले नैनों से,
चले तो तुझसे मिलने थे, ना जाने कब अलविदा हो गया।

भीड में कलाम करने की, आदत है जनाब आपको,
इल्म ना की समुंदर में, इक ज़र्रा कैसे गुम हो गया।

फ़रिश्तों अब सोचो मत, यकलख्त इस दुनिया से जुदा करदो,
परमार तेरा अब ईद का चांद होना, ना जाने क्यूँ गुनाह हो गया।।


अलहदा- जुदा, आतिश- आग, कलाम- बातें, इल्म- ज्ञान, ज़र्रा- परमाणु/ कण

हाँ हँसती है जिन्दगी मेरा हाल देखकर, पर अब मैंने भी इसे जीना सीख लिया है, गमों को पीना सीख लिया है।

#शायरी #sunlight #Zindagi #shayri #Hindi  हाँ हँसती है जिन्दगी मेरा हाल देखकर, 
पर अब मैंने भी इसे जीना सीख लिया है, 
गमों को पीना सीख लिया है।

अजीब खेल खेलती है ये जिन्दगी, रूलाती भी तब है, जब आँसू पोंछने को कोई कोई साथ नहीं होता।

#शायरी #sunlight #shayri #Hindi #Poet  अजीब खेल खेलती है ये जिन्दगी, 
रूलाती भी तब है,
जब आँसू पोंछने को कोई कोई साथ नहीं होता।
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