Mo k sh K an

Mo k sh K an Lives in Pune, Maharashtra, India

मैं रूमी की रूह, मैं बुल्ले का इकतारा

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तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल महक उठा कस्तूरी बन कर थिरकूँ तेरी ताल सबा धूप की धानी ओढूं रंग इतर का आए खुद में देखूँ तुझको जैसे खड़ा ख़ुदा मुस्काए रोम रोम में नूर थिरकता ऐसा तेरा जमाल तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल इश्क़ इबादत ज़रदोज़ी सा काढ़ा रुह के तार बूटे गुँचे खिले पश्म से कलफ़ हुआ हर बार करघा राँझा बन कर घूमे ऐसा तेरा कमाल तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल मैं रहट का साज सुहाना धुन में तेरी चूर और वक़्त के बैल जुते हैं बन कर मेरा फ़ितूर लम्हे रोज ढले सदियों से, पल में बीता साल तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनवाँ @ गुलाल ©Mo k sh K an

#मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  #main_raz_raz_hizr_manavaan #ज़िन्दगी #mikyupikyu #mokshkan  तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल 
महक उठा कस्तूरी बन कर थिरकूँ तेरी ताल 

सबा धूप की धानी ओढूं रंग इतर का आए 
खुद में देखूँ तुझको जैसे खड़ा ख़ुदा मुस्काए
रोम रोम में नूर थिरकता ऐसा तेरा जमाल
तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल 

इश्क़ इबादत ज़रदोज़ी सा काढ़ा रुह के तार 
बूटे गुँचे खिले पश्म से कलफ़ हुआ हर बार 
करघा राँझा बन कर घूमे ऐसा तेरा कमाल 
तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल 

मैं रहट का साज सुहाना धुन में तेरी चूर 
और वक़्त के बैल जुते हैं बन कर मेरा फ़ितूर
लम्हे रोज ढले सदियों से, पल में बीता साल
तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल 

मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनवाँ @ गुलाल

©Mo k sh K an

जीना चाहता हूँ मगर जिंदगी फ़ुर्सत नहीं देती मरना भी गवारा है मगर मौत इजाज़त नहीं देती बिछ गया हूँ सड़क सा अपने पैरों के नीचे औऱ ख़ुद से फ़ासले बढ़ते ही जा रहे हैं मगर @ अब खमोशी को कहने दो ©Mo k sh K an

#अब_खामोशी_को_कहने_दो #ज़िन्दगी #mikyupikyu #mokshkan #Hindi  जीना चाहता हूँ 
मगर
जिंदगी फ़ुर्सत नहीं देती 
मरना भी गवारा है 
मगर 
मौत इजाज़त नहीं देती 
बिछ गया हूँ सड़क सा 
अपने पैरों के नीचे
औऱ ख़ुद से फ़ासले 
बढ़ते ही जा रहे हैं 

मगर @ अब खमोशी को कहने दो

©Mo k sh K an

वो रातें रेजगारी सी मेरे ख़्वाब में खनकती हैं और मुझे सोने नहीं देती सिरहाने पर तेरा ज़िक्र मैंने उँगलियों से लिखा है और तकिए पर कई रात है  जो सहर नहीं होती वो लिहाफ तेरी ख़ुश्बू से मोगरा हुआ है वो सलवटें तेरी तपिश से मोम हो गई है और मैं गुमशुदा सा तुझको तलाशता हूँ ना अपना पता मिलता है ना तेरी ख़बर आती है वो रातें रेजगारी सी मेरे ख़्वाब में खनकती हैं और मुझे सोने नहीं देती रातें रेज़गारी सी @ मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनावाँ ©Mo k sh K an

#मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  #main_raz_raz_hizr_manavaan #ज़िन्दगी #mikyupikyu #mokshkan  वो रातें 
रेजगारी सी 
मेरे ख़्वाब में खनकती हैं 
और मुझे सोने नहीं देती 

सिरहाने पर 
तेरा ज़िक्र 
मैंने उँगलियों से लिखा है 
और तकिए पर कई रात है  
जो सहर नहीं होती 

वो लिहाफ तेरी ख़ुश्बू से मोगरा हुआ है 
वो सलवटें तेरी तपिश से मोम हो गई है 
और मैं गुमशुदा सा तुझको तलाशता हूँ 
ना अपना पता मिलता है
ना तेरी ख़बर आती है 

वो रातें 
रेजगारी सी 
मेरे ख़्वाब में खनकती हैं 
और मुझे सोने नहीं देती 

रातें रेज़गारी सी @ मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनावाँ

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बस ख़लिश ही रह गई हैं मेरे वजूद में जब याद सरकती है तो दम घुटता है कभी सोचा नहीं था, मैंने कि वो लोखंडवाला बैक रोड की वो चौड़ी सडक़ इतनी संकरी हो सकती है कि अकेले भी गुजरता हूँ जो जज़्बात छिल जाते हैं वो समंदर, वो सहील, वो उफनती लहरें कभी तकाज़ा भी नहीं करते और छोड़ जाते हैं मेरे सीने पर वो रेत जो तेरे पैरों में चस्पा हुआ करती थी सब कुछ बदल गया है भाटे के क़ुतुब जैसा बस ख़लिश ही रह गई हैं मेरे वजूद में जब याद सरकती है तो दम घुटता है मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनवाँ @ जब याद सरकती है ©Mo k sh K an

#मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  #main_raz_raz_hizr_manavaan #ज़िन्दगी #mikyupikyu #mokshkan  बस ख़लिश ही रह गई हैं 
मेरे वजूद में 
जब याद सरकती है 
तो दम घुटता है 

कभी सोचा नहीं था, मैंने
कि वो लोखंडवाला बैक रोड की वो चौड़ी सडक़ 
इतनी संकरी हो सकती है 
कि अकेले भी गुजरता हूँ जो जज़्बात छिल जाते हैं 

वो समंदर, वो सहील, वो उफनती लहरें 
कभी तकाज़ा भी नहीं करते
और छोड़ जाते हैं मेरे सीने पर 
वो रेत 
जो तेरे पैरों में चस्पा हुआ करती थी 

सब कुछ बदल गया है 
भाटे के क़ुतुब जैसा
बस ख़लिश ही रह गई हैं 
मेरे वजूद में 
जब याद सरकती है 
तो दम घुटता है 

मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनवाँ @ जब याद सरकती है

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तुझ से वाबस्ता है मेरा वज़ूद कुछ इस तरह जैसे गंगाजी के पानी में फूल मिला करते हैं पूजा के फूल जिन्हें थाल में सजा कर लहर कर दिया हो मन्नत की डाक ले कर मालिक के पते पर जैसे तुझ से वाबस्ता है मेरा वज़ूद कुछ इस तरह जैसे गंगाजी के पानी में फूल मिला करते @वाबस्ता ©Mo k sh K an

#ज़िन्दगी  तुझ से वाबस्ता है मेरा वज़ूद
कुछ इस तरह जैसे
गंगाजी के पानी में फूल मिला करते हैं 

पूजा के फूल
जिन्हें
थाल में सजा कर लहर कर दिया हो 
मन्नत की डाक ले कर 
मालिक के पते पर जैसे 

तुझ से वाबस्ता है मेरा वज़ूद
कुछ इस तरह जैसे
गंगाजी के पानी में फूल मिला करते

@वाबस्ता

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तुझ से वाबस्ता है मेरा वज़ूद कुछ इस तरह जैसे गंगाजी के पानी में फूल मिला करते हैं पूजा के फूल जिन्हें थाल में सजा कर लहर कर दिया हो मन्नत की डाक ले कर मालिक के पते पर जैसे तुझ से वाबस्ता है मेरा वज़ूद कुछ इस तरह जैसे गंगाजी के पानी में फूल मिला करते @वाबस्ता ©Mo k sh K an

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चेहरे पर उतर आए हैं वक़्त के आबशार बालों की सफेदी कहती है कि शाम ढल रही है ना रंग, ना रोगन,ना इत्र की ख़ुश्बू ना ज़रदोज़ी कोई ना मलमली लिहाफ सिकुड़ गई है हसरतें सारी बारिशों में भीग कर कलफ़ पर ठहरी पशेमानी कहती है कि शाम ढल रही है रात की रसीद ले कर के फिर रहा हूँ ना जाने कब आँखों को अब सूद चुकाना हो नींदों की सुलह हो अब ख़्वाबों से कुछ ऎसी कि रात ना छूटे फिर ना सहर हो.... अब खमोशी को कहने दो @ उम्र ..दराज़ ©Mo k sh K an

#अब_खामोशी_को_कहने_दो #ab_khamoshi_ko_kehne_do #ज़िन्दगी #mikyupikyu #mokshkan  चेहरे पर उतर आए हैं
वक़्त के आबशार
बालों की सफेदी कहती है
कि शाम ढल रही है 

ना रंग, ना रोगन,ना इत्र की ख़ुश्बू 
ना ज़रदोज़ी कोई
ना मलमली लिहाफ 
सिकुड़ गई है 
हसरतें सारी 
बारिशों में भीग कर 
कलफ़ पर ठहरी पशेमानी कहती है
कि शाम ढल रही है 

रात की रसीद 
ले कर के फिर रहा हूँ
ना जाने कब आँखों को अब सूद चुकाना हो 
नींदों की सुलह हो अब ख़्वाबों से कुछ ऎसी
कि रात ना छूटे
फिर ना सहर हो.... 

अब खमोशी को कहने दो @ उम्र ..दराज़

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