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Naincy Trivedi
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बारिश में छाता बन जाते हैं पापा.... धूप में छांव भी होते हैं पापा.... कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान होते हैं पापा.. जन्म तो देती है मां मगर पहचान देते हैं पापा.... happy father's Day ©Naincy Trivedi
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क्यों मैं ही हर बार झुकू क्यों मैं हर बार अग्नि परीक्षा दू नारी हूं तो क्या हुआ बेचारी हूं...... हर युग में मुझको ही क्यों सहना पड़ा अग्नि में फिर मुझको ही क्यों जलना पड़ा नारी हूं तो क्या हुआ बेचारी हूं..... मुझ पर क्यों है इतनी बंदिशे क्यों इतने पहरे आजादी दी है क्यों मैं भी ना देखूं सपने सुनहरे नारी हूं तो क्या हुआ बेचारी हूं..... कुछ तो मेरा तुम मान करो सिर्फ एक दिवस देकर तुम क्या बताना चाहते हो फिर वापस मुझे उसी अग्नि में जलाना चाहते हो हम इसी युग की नारी हैं अब अपने हक में लड़ना सीख लिया जलना ही नहीं अब जलाना भी हमने सीख लिया .... ©Naincy Trivedi
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एक बहुत ही दर्द भरी कहानी दे गया वतन से बेपनाह मोहब्बत करने की तिरगे में लिपट कर अपनी निशानी दे गया .....मेरा शत शत नमन.... पुलवामा में शहीद हुए अमर शहीदों को ©Naincy Trivedi
बिखर जाने दो मुझे अपनी ही इन बाहों में.... महक जाने दो मुझे अपनी ही इन सांसों में.... कब से बेचैन है मेरा दिल इस प्यार को पाने के लिए उतर जाने दो मुझे अपने ही इस दिल में.... एक बार तो मुझे दिल से लगा कर देखो.. मेरी धड़कनों को सुन कर देखो.. तुम्हें भी मुझसे प्यार ना हो जाए तो कहना चलो छोड़ती हूं मैं यह फैसला तुम पर पर आज तो मौका भी है और दस्तूर भी है मुझे गले से लगाकर देखो ये दिल तन्हा है इस दिल में कोई और नहीं है.... ....happy hug day.. ©Naincy Trivedi
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