SOURAV KUMAR

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#विचार #Sad_Status  White आज बालीवुड ने
संगीत एवं कलाकार दोनों को
पुर्णत नग्न अवस्था में लाने का 
कार्य किया है।
जिसका बहुत बुड़ा असर
हम सभी समाज के
लोग एवं युवा-युवतियो पर पड़ रहा है।
युवा इस मायाजाल से
 अपने मुल कर्तव्य पथ से 
दिग्भ्रमित हो रहें हैं।
पुर्णत बहिष्कार ही इसका 
एक मात्र मुल उपाय है।

©SOURAV KUMAR

#Sad_Status अच्छे विचारों

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White आज बालीवुड कि कई फिल्में अक्षम्य पाप करवाने कि प्रेरणा देती है, भले कलाकार अरबपति-खरबपति बन रहें हैं जो भारत के जनसंख्या के 1% के हजारों भाग से भी कम हैं। हमारे देश के करोड़ों युवा-युवतियों को मानसिक रूप से गरीब एवं गुमराह बनाया है एवं बनाने पर पुर्णत उत्प्रेरित करता हैं। फैशन को उच्चतम नग्नता के रुप में लाने का अहम योगदान भी उन्होंने ही दिया। अतः हम सबों का पुर्णत बहिष्कार-स्वीकृत प्रचार-प्रसार योजना जन जन को समर्पित करना ही, हमारे एवं हम-सबो का पतन का अवरोध, मुल बाधक एवं रोकथाम होगा। ©SOURAV KUMAR

#मोटिवेशनल #देशभक्त  White  आज बालीवुड कि कई फिल्में
अक्षम्य पाप करवाने कि
प्रेरणा देती है,
भले कलाकार अरबपति-खरबपति बन रहें हैं
जो भारत के जनसंख्या के
1% के हजारों भाग से भी कम हैं।
हमारे देश के करोड़ों युवा-युवतियों
को मानसिक रूप से गरीब एवं गुमराह बनाया है
एवं
 बनाने पर पुर्णत उत्प्रेरित करता हैं।
फैशन को उच्चतम नग्नता के रुप में लाने
का अहम योगदान भी उन्होंने ही दिया।
अतः हम सबों का पुर्णत बहिष्कार-स्वीकृत
 प्रचार-प्रसार योजना जन जन को समर्पित करना ही,
हमारे एवं 
हम-सबो का पतन का अवरोध,
मुल बाधक एवं रोकथाम होगा।

©SOURAV KUMAR
#देश_बचाओ_पार्टी #मोटिवेशनल  White आज
बालीवुड की कई फिल्में 
अझम्य
पाप करवाने कि प्रेरणा देती है। 
भले कलाकार अरबपति बन रहें हैं 
जो भारत के जनसंख्या के 1% के
हजारों भाग से भी कम है।
एवं 
हमारे देश के करोड़ों युवा-युवतिओ
को 
 मानसिक गरीब बनाईं है और बनाने पर
उत्प्रेरित करते आ रही
 हैं।
और आज
लोग इसे फैशन बोल कर रास्ता साफ 
कर रहे हैं।

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सिबिल तो‌ बैंक में लोग सही रखते हैं। पर घर में दैनिय स्थित है। ©SOURAV KUMAR

#विचार #Anticorruption  सिबिल
तो‌ बैंक में लोग सही
रखते हैं।
पर
घर में दैनिय स्थित है।

©SOURAV KUMAR

जब कोई क़साई करोड़ दिखाए, अपना बचाएं ओर दुसरे का कर्ज का कमाई खाएं तो वहां इंसानियत लुटी जाती है ओर वहां हर इंसान को दुःख होता है जो अपना मेहनत कर कुछ पैसे संजोना चाहता है अपनी छोटी सी जिंदगी में। वहां क़साई का पेट भरा जाता है। क्या कसा़ई को अपना परिवार नहीं दिखता है? उसके लिए क्या माँ-बाप,माँ-बाप नहीं होते है? तो क्यु भागता है कसाई कुछ चंद पैसे देने के लिए। ©SOURAV KUMAR

#विचार #WritersSpecial  जब कोई क़साई करोड़ दिखाए,
अपना बचाएं
ओर दुसरे का कर्ज का कमाई खाएं
तो
वहां इंसानियत लुटी जाती है
ओर वहां हर
इंसान को दुःख होता है
जो अपना
मेहनत कर कुछ पैसे संजोना
चाहता है अपनी छोटी सी जिंदगी में।
वहां क़साई का पेट भरा जाता है।
क्या कसा़ई को अपना
परिवार नहीं दिखता है?
उसके लिए क्या माँ-बाप,माँ-बाप नहीं होते है?
तो क्यु भागता है 
कसाई
 कुछ चंद पैसे देने के लिए।

©SOURAV KUMAR

मन दुःखी तब होता है जब लोग क़साई का पेंदी साफ करने में लग जाते हैं ओर सोचते हैं कि सेवा कर पुण्य का भागीदार बन रहे है। बात कड़वी है लेकिन सच्च है। ©SOURAV KUMAR

#विचार #Anticorruption  मन दुःखी तब होता है
जब
लोग क़साई का
पेंदी साफ करने में लग जाते हैं
ओर सोचते हैं कि सेवा कर पुण्य का
भागीदार बन रहे
 है।
बात कड़वी है लेकिन सच्च है।

©SOURAV KUMAR
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