नादान जब पहली दफा देखा उसे ,,
तो एक टक देखता ही रह गया... 2
चंचल सी नादानीयों में उसके,,
मैं धीरे धीरे डूब सा गया,,
इतनी मासूमियत थी आनन पर उसके,, 2
जिसे देख कोई भी पिघल जाए..
मेरे दिल कि क्या बात करू मैं,,
उसे देख के तो पत्थर दिल इंसान भी मोहित हो जाए..
Ab kaise andhera chaya jindgi me,
Mai bta hi nhi sakta..
Taklif to is kadar hui hai,,
Ki mai jata tak nhi sakta..
Dikhava karna padta hai khush rehne ka un apno ke bhi samne,, 2
Par kambakhat छलक aate hai ye aansu,, 2
Bs you hi unhi ke samne..
भाई तू क्यू दूर गया मुझसे,
याद तेरी बोहोत आती है..
हर पल तेरे साथ कि कमी,
दिल मे दर्द दे जाती है..
सामने दुनिया वालों के,
आज भी हस लेता हू मै..
पर आज भी तेरी यादों मे,
छुप छुप के रो लेता हू मैं..
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