शीर्षक- बहन भाई के भाल का साज है
बहन घर के आँगन की रंगोली होती है
इक बहन ही भाई की हमजोली होती है
बहन के बिना घर की हर रस्में अधूरीं हैं
बहन बिना त्यौहारों की खुशियाँ अधूरीं हैं
बहन के बिना घर की दहलीज सूनी है
बहन न हो तो भाई की कलाई सूनी है
हे ईश्वर हर घर में एक बेटी जरूर देना
रहे न बिन बहन के भाई,बहन जरूर देना
बहन भाई की राखी ,भाल का साज है
बहन ही सदा भाई की शान का ताज है
रचनाकार कवि अरुण चक्रवर्ती
©Poet Arun Chakrawarti,Mo.9118502777
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