वो किनारा,वो खुला आसमां
वो उड़ते पंछी,वो आवाज़ करते जीव
वो लहराते,मुस्कुराते पेड़
वो हस्ते फूल, जो शर्मा रहे थे
वो wodden banch
वो सूरज जो खुद को बादलो की चादर पे छिपा रहा था
वो सिकुड़ती ठंडी हवा
आज भी वहीं नज़ारा है उस bench par
जब हम आया करते थे आपके साथ
हा,कोई शक नहीं है हम आज भी आते है
अपने नए हमसफ़र के साथ,उस यादों को जिंदा रखने के लिए
हम कभी नहीं भूलेंगे वो साम जब आपने हमें अपना बनाया था
वो तारिक,दिन,साल,घंटे सब याद है और आप भी
वो खुशी के पलो का पिटारा आज भी लिए फिरते है
वो पल हमारे मरने पर ही मिटेंगे
दुनिया के उसूलों की जंजीरों में ऐसे भिड़े है कि
जिंदगी जीना ही भूल गए
और एक दिन आप भी चले गए
हा,भले आज आप इस दुनिया में नहीं है
पर आज भी वो हमारी वाली bench पर आते है अकेले
आपकी रूह को महेसुस करने और आपकी यादों में जीने के लिए
हमारी ये यादे किसीको पता ना चले इसलिए
बोतल में सिमट रहे है
सायाद,इस गहराई में सही जगह है
हा, 70 सालो के बाद आज भी आते है
की कब हम आपके पास आ सके
तब एक बोतल पैरो में आती है और
हम इन अल्फाजों में सिमट गए
जीते जी नहीं पर मर मारने के बाद हो ही गए हम आपके
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