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writer poetess
टुकड़े टुकड़े में बाँट दी तूने. मेरी तस्वीर काट दी तूने .मुझको पूरा कहाँ̃ कबूल किया मेरी कमियाँ तो छाँट दी तूने मनीषा जोशी मनी ©poetess Manisha Joshi
poetess Manisha Joshi
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अजीब है रिश्तों का भँवर न डुबने देता है न तैरने बस फँसा के रखता इंसान को काँटे में फँसी मछली की तरह... मनीषा जोशी मनी ©poetess Manisha Joshi
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साथ मेरा मुश्किलों को भा गया रोज़ देती है मेरे दर पर सदा ज़िदगी भी आजमाना चाहती है है मेरी मुस्कान पर वह भी फ़िदा मनीषा जोशी मनी ©poetess Manisha Joshi
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