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क्या है मेरे सोच की पराकाष्ठा खुद से पूछता
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White ईश्वर की रचाई सृष्टि में कहीं सुख कहीं दुख का डेरा है कभी अपनों से बिछुड़न की माया है तो कभी लम्हों मे यादों का फेरा है ©Aashish Vyas
Aashish Vyas
12 Love
कहानी हम लिखते नहीं बस पात्र निभाया करते है पूर्व जन्म के कर्मों के हम ऋण को उतारा करते है ये कर्म ही हेतू बनते है की जीवन ये कैसा बीतेगा क्या सुख की बेला छायेगी या दुख का सागर छलकेगा वो ऊपर बैठा ईश्वर भी इस बात को मन से सोचेगा कि क्या तू पुण्य कमाता है या पापों का घड़ा छलकायेगा ©Aashish Vyas
10 Love
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गर में छू लूं आसमां तो वो आसमां मुझसे ले लो गर में जीत लूं जहान तो वो जहान मुझसे ले लो चंद पल जवानी के गुजरे ही है दोस्तो हो सके तो मेरा बचपन मुझको लौटा दो ©Aashish Vyas
16 Love
White श्री हनुमान का स्वचित्त वार्तालाप हे हनुमन तुम हो ज्ञानी बड़े किंतु तेरे नाथ विवश है खड़े सकल धरा के पालन करता दुख दरिद्र कष्टों के हरता अष्ट सिद्धियां वश में मेरे नव निधियां भी पाश में मेरे किंतू कैसे ये संकट सुलझाऊ सीता राम अब कैसे मिलाऊं ©Aashish Vyas
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