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कलमकार✍️मोहसीन खान
जरुरत नहीं चाँद को देखने की
तकिये तले तस्वीर तुम्हारी रक्खी है
💔❤️❤️🩹😔
जो हस कर देखा था तुमने उस दिन
तबसे सांसे थम चुकी है
🌹
अब बात आगे बढ़ाने को दिल करता है
अधूरी मुलाक़ात को मुक़्क़मल करने को मन करता है
🥺
हा हैसियत से जरा ऊँची बात कर रहा हु
पर कुछ पल की नहीं
जिंदगी भर के साथ की बात कर रहा हु
😢
तुम ना कहो या हां कहो
मसला ये नहीं
तुम जो चुप हो यही बात बस अच्छी नहीं
😔
उदासी, गम, दुख, दर्द,
इन सबसे पुराना नाता है
जो तुमने ठुकरा दिया तो
तो मुर्दा बनकर जीने में क्या रक्खा हैँ
©Mohasin#khan#
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