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मैं किशोर हूं, सब तरफ मचा है हल्ला गुल्ला मैं बिन हल्ले का शोर हूं। मैं किशोर हूं ।
रीढ़ की हड्डी सिर्फ़ पीठ में ही नहीं आत्मा में भी होती है। ऐसा मेडिकल साइंस नहीं हमारी संवेगात्मक शक्ति कहती है। रीढ़विहीन आत्मा मेडिकल साइंस की थ्योरी में तो है, मेरे जेहन में नहीं। ©Kishor Jha
Kishor Jha
9 Love
फलक पर रौशनी होगी, जरा आना तुम... सितारे तुमको पुकारा करते हैं.. जरा आना तुम... आना तो..... दामन बचा के चलना जरा इस कूचे में भी कालिख है... फकत इतना तसव्वुर करना मेरे जेहन में भी आना तुम.... ©Kishor Jha
8 Love
पिता! ---------------------------------------------------------- रिश्तों को बांधे रखने का हुनर हैं पिता! कभी अनकहा तो कभी अनबूझा सा इक तेवर है पिता! पिता के होने से घर, घर सा लगता हैं मां का बिछिया, पायल सारा जेवर हैं पिता! रिश्तें तो यूं कई हैं पर घर के कलेवर हैं पिता! बच्चों के मन का थोड़ा हिम्मत और थोड़ा ड़र हैं पिता! ©Kishor Jha
10 Love
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