मेरे दिल की हकीकत को सुन लो तुम जरा दिल से
धड़कन की हकीकत को समझ लो तुम जरा फिर से
मोहब्बत और खुदा में ना अंतर तुम कभी समझो
की हर एक जन्म में मिलेंगे हम सरल तुमसे सदा फिर से
कृष्ण कुमार अग्रहरी सरल
जिन्हें सब कुछ समझ कर पूजते थे हम दिलो जान से
पीछे बुराई कर रहे थे ओ मेरी बड़े जी जान से
दीपक संग बाती बन जलने का था इरादा जहां
मुंह मोड़ कर जाने लगे और कहने लगे तू कहां मैं कहां
#Pehlealfaaz क्या लिखें आईने के सामने वह तो सब हकीकत बयां करता है
लोग पूछ लेते हैं हाल-चाल अक्सर
कोई न वफा करता है
किश्तीया चलाकर अब तो डूबने का प्रयास करते हैं
साथ रहकर अक्सर साथ न देने की बात कहते हैं
वादें टूट जाते हैं जब जब काम निकल जाता है
दिल टूट जाता है
अपना गलत ठहराता है
5 Love
प्रभु तेरी निर्झर जलधारा का मैं भी बहता एक पत्ता हूं
कोई न सहारा है गिरवर मेरा मैं तो तुझ पर ही चलता हूं
भगवान अपने इस पत्ते का बेड़ा पार लगा देना
आजन्म उपासक हूं तेरा मेरी नैया पार लगा देना
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here