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मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस खुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं :-जौन एलिया साहब
मोहब्बत ने हमारा साथ छोड़ शायरी ने मगर मौका नहीं छोड़ा कहानीकार से कहकर के हमने उसे किरदार में तन्हा नहीं छोड़ा बनाया शहर से दूर इक तन्हा घर उसमें दरीचों के लिए जगह नहीं छोडा मल्लाह जानता था तैराक हूँ नहीं मैं सो उसने बीच दरिया में नहीं छोड़ा तुम्हारा नाम भी अब तो याद नहीं है तुम्हारी याद ने इस काबिल नहीं छोड़ा तुम्हारे बाद सोचा फिर कोई आएगा दिल में दिल ने खुद को इस बात से बहलाना नहीं छोड़ा ये आँखे मुन्तज़िर रहने लगी थी अब तुम्हारी इस वजह से भी घडी लगाना नहीं छोड़ा जंगल कटते ही सोचा अब तन्हा हो जाऊँगा लेकिन मेरा साथ परिंदों ने नहीं छोड़ा कोई न समझे कि उदासी रहती है सो हमने तस्वीर में हँसना नहीं छोड़ा आंशुओं ने भी कोई असर न दिखाया तेरे बोसे ने अबतक गाल मेरा नहीं छोड़ा मर गयी तू दिल मोहल्ले से मगर दिमाग ने तेरा कब्ज़ा नहीं छोड़ा ©Kumar Vatsalya
Kumar Vatsalya
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दरख़्त काट के मैं खुश हुआ हूँ ये पहला दुःख है जिसपे खुश हुआ हूँ बहुत से शे'र कह डाले हैं अब तक तू इक ऐसा बता कि जिसपे खुश हुआ हूँ ©Kumar Vatsalya
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हमारी ज़िन्दगी वाली क्लास में हिज़्र वाला चैप्टर चल रहा है ©Kumar Vatsalya
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