एक अरसा लगा तुमको पहचानने में
अगर मैं तुमको पहले ही परख लेता तो अच्छा था
ज़िन्दगी का बड़ा हिस्सा बीत गयी तुमको मनाने में ,
एक पल हम ही नाराज हो जाते तो अच्छा था ,
मुझमे ही कुछ कमी थी,जो मैं कह नहीं पाया
यदि मेरे मन के अल्फाज़ो को तुम पढ़ लेती तो अच्छा था
इस भीड़ भरी जिंदगी में ,क्यो तुमको खुद से ज्यादा जान लिया
काश तुम अजनबी रहते,तो अच्छा था।
बेकार में ही गैरो पर विश्वास किया
यदि कुछ पल रुक कर,अपनो की आवाज सुनी होती तो अच्छा था।
आज भी तुम्हारी यादों में अकेला भटक रहा हु
एक बार फिर मिल जाते तो अच्छा था।
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