दो दोस्तो की यारी ऐसे खत्म हुई
(पहला दोस्त)
ऐसे वादें थे उनके
हमेशा साथ निभायेंगे,
कभी दोस्ती नहीं तोड़ पाएंगे,
जब तक है सांस तब तक कदम से कदम मिलाएंगे,
चाहे कैसी भी हो परिस्थिति कभी छोड़ के न जायेंगे।
ऐसे वादें थे उनके
इस बार कॉलेज की छूटी में अपने गांव घुमाएंगे
अपने बगीचे से कच्चा और पक्का आम खिलाएंगे
घूमते-घूमते थक जाने पर अपने घर का बना लस्सी पिलाएंगे।
ऐसे वादें थे उनके
अपनी प्रिये का मैसेज आने पर तुम्हे बहुत बुरी पार्टी देंगे
हम तुम्हारे लहज़े से वाकिफ है कोई बात दिल से न लगाएंगे
हम और हमारा शहर धोखेबाज है इस बात का कभी बुरा ना मानेंगे
तुम कोई भी चीज मांगो हम कभी नहीं नाकारेंगे।
(दूसरा दोस्त)
जो वादें कर रहे हो हमसे वो कभी नहीं निभा पाओगे
जब तक सांसे है छोड़ो एक साल भी साथ नहीं रह पाओगे
तुम अपने किये वादे लड़कियों से ही निभाओगे
हम कुछ पूछे तो तुमको अपने वादों के वसूल नजर आएंगे
जब हमारी बारी आएगी तब तुम अपना रंग दिखाओगे
और अंततः! तुम और तुम्हारा शहर धोखेबाज है इस तथ्य को कैसे गलत कर पाओगे।
©Arijit Divedi
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