बन्दे हैं हम उसके हम पे किसका ज़ोर उम्मीदों के सूरज निकले हैं चारो ओर तक़दीर है फ़ौलादी हिम्मती हर कदम अपने हाथों क़िस्मत लिखने आज चले हैं हम
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