बचपन मे जब मंदिरो मे
भीड़ की वजह से भगवान
के दर्शन नही हो पाते थे,
तब पापा कंधे पर उठाकर
दर्शन करवाते थे, तब इतना
नही पता था की जो कंधे
पर उठाये है, वही भगवान है.
@पीयूष पंवार
बचपन मे जब मंदिरो मे
भीड़ की वजह से भगवान
के दर्शन नही हो पाते थे,
तब पापा कंधे पर उठाकर
दर्शन करवाते थे, तब इतना
नही पता था की जो कंधे
पर उठाये है, वही भगवान है.
@पीयूष पंवार
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