मुश्किलों के दौर में, मुस्कुराना सीख ले
छोटी छोटी खुशियों से भी, मन बहलाना सीख ले
नमक है मुट्ठी में दुनिया की,मरहम की ले की तू आस ना कर
अपने गहरे ज़ख्मों को, दिल में दफनाना सीख ले
छोटी छोटी
कंकड़ पत्थर तो सदियों से इन राहों का हिस्सा थे
अपने कदमों की ताकत को आजमाना सीख ले
छोटी छोटी
फटी पोटली में सपनों का, ज़िंदा रह पाना मुश्किल है
आसमां छू लेंगे इक दिन इन्हे पंख लगाना सीख ले
छोटी छोटी
तन्हाई बस हमसफ़र है इन बंजारा सी राहों
भूली बिसरी इन राहों पर महफ़िल सजाना सीख ले
. . ................... Dalbir Singh Banjara
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©Dalbir Singh Banjara
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