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जो कहता हूँ अपनी जुबा कवि
Satish Salame
Friday, 10 February | 07:52 pm
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यह श्याम भी रंगीन है यह मौसम भी सुहाना है जरा पास मेरे बैठ आ तुझसे कुछ बातें करनी है कुछ तुमसे सुनना है कुछ मुझको कहना है यह शाम भी कह रहा है यह मौसम भी कह रहा है ©Satish Salame
14 Love
तुम अपने स्वयं के लिए लड़ो गे तो स्वार्थी कहलाओगे और यदि तुम अपनी जन्मभूमि मातृशक्ति के लिए लड़ो गे तो वीर कहलाओगे ©Satish Salame
17 Love
वक्त बहुत किमती हैं,, इसका सही समय पर उपयोग कर लेना चाहिए ©Satish Salame
12 Love
शाख से पत्ते टूट कर अक्सर गिर जाए करते हैं नए मौसम को रुख देने के लिए, बदल जाता है यह मौसम नए तराने के लिए ©Satish Salame
8 Love
सफर का मजा साथ चलने में है मौसम आज बहुत सुहावना है मेरे साथ दे रहा है मुझे कह रहा है आंचल मेरे साथ तुझे तेरी मंजिल की ओर रुख मोड़ देता हूं ©Satish Salame
7 Love
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