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खुद के बारे में लिख सकू, अभी उस काबलियत को हासिल करने का सफर शुरू किया है!
kavita khosla
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मिलना था तुमसे.... कभी ना बिछड़ने के लिए... पहली ही मुलाकात में बिछड़े.... दोबारा ना मिलने के लिए। ©kavita khosla
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मेरा एक शहर है याद शहर... कभी वक्त मिले तो जाता हूँ वहां अतीत की गाड़ी पकड़ के... वहां कुछ किस्सों के पुराने मुहल्ले थे... और कहानियों की जानदार गलियां भी। एक बड़ा पुराना बाजार था... यहां भावनाओं की बोली लगती थीं! एक बगीचा हुआ करता था सबर का जिसमें सकून की सैर को जाया करता था..! मैं पुराने घावों के घर नहीं जाता लेकिन.. जाऊं तो वो... साथ चलने की जिद किया करते हैं... उनको वही सिसकता छोड़... आज की गाड़ी से लौट आता हूं। ©kavita khosla
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बहुत है..... मगर याद है अब.... तेरा अपनी फुर्सत में दिल लगाना... अपने लिए दिल लगाना.... यादें... बहुत है... मगर याद है अब... तेरा बिन बताये जी चुराना... बिन बतायें... हाथ छुड़ाना.... यादें... बहुत है....!!! ©kavita khosla
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