Virendra yadav veeru

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जरा सी छेद क्या हो गए मेरे जेब में,सिक्कों से ज्यादा तो मेरे रिश्तेदार गिर गए।

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 तुम अपनी जुल्फों को यूंही बिखरा कर चलती हुई, तिरछी निगाहों से वार करती हो, तो कई आशिक़ बिना ज़हर दिए ही मर जाते हैं !

©Virendra yadav veeru

तुम अपनी जुल्फों को बिखरा कर चलती हुई???

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Arz Kiya Hai

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Thursday, 16 February | 04:08 pm

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#ज़िन्दगी #panikitadap_ekbund  पानी की औकात मैंने तब अच्छी तरह से जाना,
जब एक बुंद पानी की तड़प ने मेरे रूह में तुफ़ान सा मंजर पैदा कर दिया!!🙏

©Virendra yadav veeru

हिन्दू बने नौजवानों! कब समझोगे कि क़लम पकड़ने वाले हाथों में तलवार पकड़ा कर वे तुमको दंगाई बना चुके हैं? अपने बच्चों को वे अच्छी तालीम व बेहतर रोज़गार देकर रुपए कमवा रहे और तुमसे मस्ज़िद के सामने नंगा नाच नचवा रहे. जब तक समझोगे, वे सब लूटकर तुम्हें अकेला छोड़ जाएंगे. क्या मिलेगा? ©Virendra yadav veeru

#deshkihalat #writing #deshhit  हिन्दू बने नौजवानों! कब समझोगे कि क़लम पकड़ने वाले हाथों में तलवार पकड़ा कर वे तुमको दंगाई बना चुके हैं? अपने बच्चों को वे अच्छी तालीम व बेहतर रोज़गार देकर रुपए कमवा रहे और तुमसे मस्ज़िद के सामने नंगा नाच नचवा रहे. जब तक समझोगे, वे सब लूटकर तुम्हें अकेला छोड़ जाएंगे. क्या मिलेगा?

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#Quotes  23 मार्च को शहिद दिवस पर भगत सिंह की कुछ पक्तीयां पेस है!
इश्क लिखना भी चाहूं तो इंकलाब लिख जाता हूं

इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज्बातों से,अगर मैं इश्क लिखना भी चाहूं तो इंकलाब लिख जाता हूं।

©Virendra yadav veeru

#23 मार्च को शहिद दिवस

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Wednesday, 23 March | 02:16 pm

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