Payal Meena

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#कविता  तुम्हारे घने काले केशुओं की
बलखाती हुई लटों संग
खनखती चूड़ियां और
छनकती झाँझरो संग
महावर लगे तुम्हारे कोमल पैर
जिसदिन पड़े थे उस 
नीली झील में
उस दिन से आजतक
उस नीलवर्ण झील का रंग
सुर्ख लाल रक्तिम सा
आज भी है।।

स्वरचित पंक्तियाँ
पायल मीना

©Payal Meena

तुम्हारे घने काले केशुओं की बलखाती हुई लटों संग खनखती चूड़ियां और छनकती झाँझरो संग महावर लगे तुम्हारे कोमल पैर जिसदिन पड़े थे उस नीली झील में उस दिन से आजतक उस नीलवर्ण झील का रंग सुर्ख लाल रक्तिम सा आज भी है।। स्वरचित पंक्तियाँ पायल मीना ©Payal Meena

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#कविता  तुम्हारे घने काले केशुओं की
बलखाती हुई लटों संग
खनखती चूड़ियां और
छनकती झाँझरो संग
महावर लगे तुम्हारे कोमल पैर
जिसदिन पड़े थे उस 
नीली झील में
उस दिन से आजतक
उस नीलवर्ण झील का रंग
सुर्ख लाल रक्तिम सा
आज भी है।।

स्वरचित पंक्तियाँ
पायल मीना

©Payal Meena

तुम्हारे घने काले केशुओं की बलखाती हुई लटों संग खनखती चूड़ियां और छनकती झाँझरो संग महावर लगे तुम्हारे कोमल पैर जिसदिन पड़े थे उस नीली झील में उस दिन से आजतक उस नीलवर्ण झील का रंग सुर्ख लाल रक्तिम सा आज भी है।। स्वरचित पंक्तियाँ पायल मीना ©Payal Meena

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